हिन्दू धर्म में सावन के अंतिम सोमवार की विशेष महत्ता
हिन्दू धर्म में सावन के अंतिम सोमवार की विशेष महत्ता है। मान्यता है कि सावन के सोमवार को शिवलिंग पर जल अभिषेक से सारे द:ुख दूर हो जाते हैं। कावड़ी दिनभर भूखे-प्यासे रहकर भगवा कपड़े पहने सायं 4 बजे गायत्री मंदिर पर एकत्रित हुए। मंदिर में कावडिय़ों ने भगवान शिव को शीश नंवाया और मन्नत मांगी। आसपास की सोसायटियों के शिवभक्त भी भगवा ध्वजा लेकर कांवड़ यात्रा में शामिल हुए। गायत्री मंदिर में पूजा अर्चना, आरती के बाद कांवडिय़ों का दल भजन गाते हुए बिन्द्राबीन की और रवाना हुआ। नाचते गाते शिव भक्त रंग-बिरंगी कांवड़ लिए आमली मैदान से झंडा चौक, पुलिस थाना, टोकरखाड़ा तक लम्बी कतार में शोभायमान दिखने लगे। मसाट रोड पर पहुंचते ही कांवडिय़ों का सैलाब काफी दूर फैल गया। टोकरखाड़ा में अल्पविराम बे बाद कांवडि़ए पैदल चलते हुए सामरवरणी, मसाट, रखोली, दपाड़ा होते हुए बिन्द्राबीन रामेश्वर मंदिर पहुंचे। रास्ते में समाजसेवियों ने जगह-जगह जलपान की व्यवस्था रखी। सोमवार भोर को बिन्द्राबीन जलाशय से पवित्र जल लेकर कांवडि़ए लवाछा में बिल्व पत्र, भांग, धतूरे इत्यादि से पूजन व जलाभिषेक करंेगे। कांवडिय़ों के लिए नरोली के त्रिनेत्रेश्वर, बाविसा फलिया दानेश्वर और गायत्री मंदिर में जलाभिषेक की खास व्यवस्था की गई है। इसी तरह सायली सांई मंदिर से समाजसेवी सुमन पटेल, माधूभाई पटेल शैलेषभार्ई, सायली सरपंच गीताबेन पटेल ने कावड़ यात्रा का आयोजन किया।
हिन्दू धर्म में सावन के अंतिम सोमवार की विशेष महत्ता है। मान्यता है कि सावन के सोमवार को शिवलिंग पर जल अभिषेक से सारे द:ुख दूर हो जाते हैं। कावड़ी दिनभर भूखे-प्यासे रहकर भगवा कपड़े पहने सायं 4 बजे गायत्री मंदिर पर एकत्रित हुए। मंदिर में कावडिय़ों ने भगवान शिव को शीश नंवाया और मन्नत मांगी। आसपास की सोसायटियों के शिवभक्त भी भगवा ध्वजा लेकर कांवड़ यात्रा में शामिल हुए। गायत्री मंदिर में पूजा अर्चना, आरती के बाद कांवडिय़ों का दल भजन गाते हुए बिन्द्राबीन की और रवाना हुआ। नाचते गाते शिव भक्त रंग-बिरंगी कांवड़ लिए आमली मैदान से झंडा चौक, पुलिस थाना, टोकरखाड़ा तक लम्बी कतार में शोभायमान दिखने लगे। मसाट रोड पर पहुंचते ही कांवडिय़ों का सैलाब काफी दूर फैल गया। टोकरखाड़ा में अल्पविराम बे बाद कांवडि़ए पैदल चलते हुए सामरवरणी, मसाट, रखोली, दपाड़ा होते हुए बिन्द्राबीन रामेश्वर मंदिर पहुंचे। रास्ते में समाजसेवियों ने जगह-जगह जलपान की व्यवस्था रखी। सोमवार भोर को बिन्द्राबीन जलाशय से पवित्र जल लेकर कांवडि़ए लवाछा में बिल्व पत्र, भांग, धतूरे इत्यादि से पूजन व जलाभिषेक करंेगे। कांवडिय़ों के लिए नरोली के त्रिनेत्रेश्वर, बाविसा फलिया दानेश्वर और गायत्री मंदिर में जलाभिषेक की खास व्यवस्था की गई है। इसी तरह सायली सांई मंदिर से समाजसेवी सुमन पटेल, माधूभाई पटेल शैलेषभार्ई, सायली सरपंच गीताबेन पटेल ने कावड़ यात्रा का आयोजन किया।