script-कोरोना साल : सांसत में 24000 करोड़ का कारोबार व छह लाख का रोजगार…. | -Korona Sal: a turnover of 24000 crores and employment of six lakhs in | Patrika News

-कोरोना साल : सांसत में 24000 करोड़ का कारोबार व छह लाख का रोजगार….

locationसूरतPublished: Sep 25, 2020 09:30:26 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

20 प्रतिशत भाव अतिरिक्त महंगा हुआ क्राफ्ट पेपर- गुजरात में सौ से ज्यादा पेपर मिले, देश में 60 लाख टन का उत्पादन

-कोरोना साल : सांसत में 24000 करोड़ का कारोबार व छह लाख का रोजगार....

-कोरोना साल : सांसत में 24000 करोड़ का कारोबार व छह लाख का रोजगार….


सूरत. कोरोना के साल में देश की क्राफ्ट पेपर मिलों में कच्चे माल के लगातार बढ़ते भाव, चीन से आयात पर रोक और अन्य खर्चों से कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ गई है। हाल में कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री में उत्पादन लागत 20 फीसदी तक बढ़ गई है। इससेे अकेले सूरत कपड़ा उद्योग में 80-100 करोड़ का बोझ बढ़ेगा। देशभर में कोरोगेटेड ऑटोमेटिक यूनिट 350 व 10 हजार सेमिऑटोमेटिक यूनिट है, जहां छह लाख लोग रोजगार पा रह हैं और सालाना उत्पादन 60 लाख टन तथा 24 हजार करोड़ का कारोबार है। कोरोगेटेड बॉक्स यानी कपड़े ,साडिय़ों, दवाइयों आदि सामानों के पु_े के पैकेट्स को कहा जाता है। कोई प्रोडक्ट बिना बॉक्स के खुला नहीं बिकता तो हर उत्पादन में इसकी जबरर्र्दस्त डिमांड है।

संकट इसलिए :


लॉकडाउन के दौरान यूरोप, यूएसए में वेस्ट पेपर का उत्पादन बंद रहा और पेट्रो वेस्ट से क्राप्ट पेपर बनने के चलते खाड़ी देशों से कच्चा माल चीनी कंपनियों ने पहले ही थोक में स्टॉक जमा कर लिया। अब चीन से आयात पर रोक लगने से वेस्ट पेपर पर्याप्त मात्रा में पेपर इंडस्ट्रीज को नहीं मिल रहा है। भारत की क्राफ्ट पेपर इंडस्ट्री में 60 प्रतिशत कच्चा माल रिसाइकिल व 40 फीसदी चीन, यूएसए, यूरोप व अन्य देशों से आता है। फिर देशभर में कोरोगेटेड बॉक्स, डुप्लेक्स बॉक्स इंडस्ट्री में सप्लाय किया जाता है। कोरोना काल में मांग के सामने आपूर्ति नहीं होने से दो महीने में ही देशी और आयातित वेस्ट पेपर का भाव प्रति मीट्रिक टन 4500 से 5000 रुपए बढ़ गया।

स्थानीय उद्योग में 80-100 करोड़ का बढ़ेगा बोझ


सूरत में क्राफ्ट पेपर से कोरोगेटेड व अन्य छोटे-बड़े बॉक्स बनाने वाली डेढ़ सौ से ज्यादा फेक्ट्रियां है। क्राफ्ट पेपर में 20 फीसदी बढ़ोत्तरी का असर सालाना 400 करोड़ के कारोबार वाली स्थानीय इंडस्ट्री पर भी 80 से100 करोड़ का अतिरिक्त भार पडऩे वाला है। सूरत में मासिक उत्पादन 6 हजार टन का है। इसमें से 4 हजार टन माल कपड़ा उद्योग में लगता है।
गुजरात में सौ से ज्यादा पेपर मिलें


सूरत की डेढ़ सौ समेत प्रदेश की सात सौ कोरोगेटेड ऑटोमेटिक व सेमीऑटोमेटिक यूनिटों में पेपर सप्लाय करने वाली गुजरात में सौ से ज्यादा पेपर मिलें है। इनमें से वापी व मोरबी में 20-22, सूरत में 11 व वड़ोदरा-अंकलेश्वर में 10-12 है। एक-एक पेपर मिल 50-50 करोड़ की लागत की है और दो लाख टन का मासिक उत्पादन है। उसे कच्चा माल 50 फीसदी अधिक दाम पर मिल रहा है।

पेपर इंडस्ट्रीज मुश्किल में :

कोरोना काल में बड़ी मुश्किल में पेपर इंडस्ट्रीज खड़ी है। यह केवल कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्रीज पर निर्भर है। लॉकडाउन के बाद अब कच्चा माल महंगा मिल रहा है।
– ललित गर्ग, सचिव, गुजरात पेपर मिल एसोसिएशन

थोड़ा समय लगेगा


अभी हालात मुश्किल भरे अवश्य है, लेकिन कुछ समय बाद इंडस्ट्री की स्थिति सामान्य होने के आसार है। अभी भी देश के कई हिस्सों में कोरोना का व्यापक असर है और लॉकडाउन जैसे हालात है तो इंडस्ट्रीज के सुधार में समय लगना स्वाभाविक है।
एसके मिश्रा, डायरेक्टर (ऑ.), गायत्रीशक्ति पेपर बोर्ड लि. वापी

तीन साल में 70 फीसदी दाम बढ़े :


पिछले दो-तीन साल में कोरोगेटेड बॉक्स के भाव 60 से 70 फीसदी बढ़ चुके हंै। बार-बार व्यापारियों को दाम वृद्धि के लिए समझाना मुश्किल भरा है। फेक्ट्री मालिकों के खर्चे भी लगातार बढ़ रहे हैं।
– बबलू मलिक, प्रमुख, सूरत पार्सल-पैकेजिंग एसोसिएशन

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