डॉक्टरों के अनुसार कोरोना एक संक्रामक बीमारी है, यह वायरस इंसान से इंसान में एक-दूसरे में फैल रहा है। लेकिन नया स्ट्रेन बेहद खतरनाक दिख रहा है, जो एक साथ कई लोगों को चपेट में ले लेता है।
मार्च के बाद नए स्ट्रेन सेकंड फ्लो में अपना भयावह रूप दिखा रहा है। अब अधिकाधिक लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
मार्च के बाद नए स्ट्रेन सेकंड फ्लो में अपना भयावह रूप दिखा रहा है। अब अधिकाधिक लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर इलाज मिल जाए तो बीमारी को मात दिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में लोग इलाज की बजाय तरह-तरह के नुस्खे खोज रहे हैंं तथा विभिन्न शंकाओं से घिरे नजर आ रहे हैं। जुकाम या सर्दी होने पर लोगों को दूरी बनाए रखना कोई बुरी आदत नहीं हैं परन्तु उसका बहिष्कार करना या बेवजह डर जाना उचित नहीं है। क्षेत्र के लोगों में इसी तरह का माहौल देखने को मिल रहा है।
हर बीमारी को कोरोना मान लेना उचित नहीं एम्बलेंस की आवाज, परिजनों के स्वास्थ्य की खबरे, ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड का अभाव, श्मशानों में शवों का ढ़ेर जैसी जानकारी से लोग दहशत में जीवन बिता रहे हैं। असल में कोरोना मरीज रिकवर ज्यादा हो रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार हर बीमारी को कोरोना मान लेना उचित नहीं है। जांच-पड़ताल के बाद दवाई लेकर बीमारी का उपयुक्त इलाज है। एक ही विषय (कोरोना-कोरोना) के बारे में बार बार सोचना उपयुक्त नहीं है।
परिवार के साथ वक्त बिताने और सकारात्मक माहौल से बीमारी से बचा जा सकता है। मामूली सर्दी, जुकाम, शरीर में दर्द, गले में खरास, बुखार होने पर लोग समझ रहे हैं कि कोरोना हो गया है। डॉक्टरों की सलाह वगैर एक्स-रे, सोनोग्राफी दोनों गलत हैं। यदि कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो नियमित औषधोपचार करने से बीमारी ठीक हो जाती है। घबराहट से बीमारी कम होने की बजाए और बढ़ जाती है। लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया की भ्रामक खबरें भी लोगों को परेशानी में डाल रही हैं।