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WOMEN’S DAY : दफ्तर को घर और जनता को परिवार समझती है लेडी आइपीएस

locationसूरतPublished: Mar 09, 2021 11:27:13 am

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

SURAT @ लॉकडाउन में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग दे चुकी है रीयल हीरो अवार्ड डीसीपी सरोज कुमारी को ..
– लॉकडाउन में लोगों को हाथों से बना कर खिलाया खाना
– मासूमों के यौन उत्पीडऩ को लेकर चला रही हैं जागरुकता अभियान
SURAT @ डांग के जंगलों से लगाई दुनिया की दौड़ : SARITA GAYAKWAD
SURAT @ ट्राइथलॉन में दिखाया दुनिया को दमखम : POOJA CHAURUSHI
 

WOMEN'S DAY : दफ्तर को घर और जनता को परिवार समझती है लेडी आइपीएस

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सूरत. अपने ऑफिस को घर और पब्लिक को अपना परिवार समझ कर काम करती है गुजरात की लेडी आइपीएस अफसर सरोज कुमारी। यही वजह है कि वह अपनी उत्कृष्ट सेवाओं से कई अवार्ड से सम्मानित ही चुकी हैं। हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग ने 29वें स्थापना दिवस पर उन्हें ‘महिला कोविड योद्धा- वास्तविक हीरो’ (रीयल हीरो) अवार्ड से नवाजा। गुजरात से चुनी गई वह एकमात्र पुलिस अफसर है।
लॉकडाउन के दौरान वह वडोदरा में डीसीपी पुलिस मुख्यालय के पद पर तैनात थीं। लॉकडाउन में श्रमिकों की रोजीरोटी छिन गई थी। शहर के इलाकों में भोजन के लिए परेशान लोगों को देखकर उन्होंने जरुरतमंदों के लिए रात दिन सक्रिय रह कर ‘पुलिस किचन’ की शुरुआत की। राशन की व्यवस्था और जरुरतमंदों तक भोजन पहुंचाने का नेटवर्क बनाया।
उनकी अगुवाई में ड्यूटी के बाद अन्य महिला पुलिसकर्मी भी सेवा देकर अपने हाथों से भोजन तैयार करती थीं। कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत सीनियर सिटीजन्स के लिए ‘वरिष्ठ निर्भयम सेल’ का गठन कर हेल्पलाइन भी शुरू की। जिसमें अकेले रहने वालों की पुलिस जरूरतें पूरी करती थी।

निराश लोगों के लिए काउंसलिंग :

एमएस यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसरों की मदद लेकर हताश और निराश लोगों की काउन्सलिंग की व्यवस्था की। करोना काल में पुलिस परिवारों की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर,पीपीई किट, मास्क, फेस शील्ड, दवाओं की व्यवस्था की थी।

मासूमों को यौन उत्पीडऩ से बचाना है मकसद :
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिढ़ावा तहसील के बुडानिया गांव की बेटी सरोज कुमारी सरकारी स्कूल में पढ़ कर आईपीएस अधिकारी बनीं। 2017 से नाबालिगों के यौन उत्पीडऩ के खिलाफ ‘स्पर्श की समक्ष’ अभियान भी चला रही है। जिसके तहत मासूमों को स्पर्श (गुड टच, बैड टच) की समझ करवाई जाती है। उन्हें यह भी समझाया जाता है कि बैड टच की स्थिति में उन्हें क्या करना है।
इसके लिए वे अपनी टीम के साथ जागरुकता कार्यक्रम कर रही है। फिलहाल सूरत शहर पुलिस मुख्यालय में बतौर डीसीपी कार्यरत सरोज कुमारी ने महिला दिवस के उपलक्ष में बताया कि आज हम जिस माहौल में जी रही है। उसके लिए कई वैचारिक लड़ाइयां लड़ी गई है। कतार में जो महिलाएं सबसे पीछे रह गई है। हमें उनकी आवाज बनना है।
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डांग के जंगलों से लगाई दुनिया की दौड़


सूरत. डांग एक्सप्रेस व गोल्डन गर्ल के नाम से जानी जाने वाली भारत की अंतरराष्ट्रीय धाविका सरिता गायकवाड महिलाओं के लिए प्रेरणा का श्रोत है।
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डांग जिले के छोटे से गांव कराड़ी आंबा में आदिवासी परिवार में जन्मी सरिता ने तमाम तरह के अभावों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से देश और दुनिया में नाम कमाया। 2018 के एशियाई खेलों में 4 गुना 400 रिले में देश को स्वर्ण पदक दिलाया। इसके अलावा भी अन्य राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते। हाल ही में गुजरात सरकार ने उसे डिप्टी एसपी के तौर पर नियुक्ति दी है।
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ट्राइथलॉन में दिखाया दुनिया को दमखम


सूरत. तैराकी, दौड़ और साइकिलिंग के मिश्रण ट्राइथलॉन वल्र्ड चैम्पियनशिप व एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व वाली एक मात्र महिला खिलाड़ी सूरत की पूजा चौरुर्षि भी युवतियों के लिए रोल मॉडल है।
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वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए 12 पदक जीत चुकी है तथा दक्षिण एशिया ट्राइथलॉन एसोसिएशन की ब्रांड एम्बेसेडर है। यदि यह कहा जाए कि यूरोपीय दबदबे वाले इस खेल को पूजा ने भारत मे पहचान दिलवाई तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। सिर्फ 8 साल की उम्र में उसने तैराकी से शुरुवात की और 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय पदक जीता। 2007 के राष्ट्रीय खेलो में उसने ट्राइथलॉन में स्वर्ण जीता। अब तक वह 210 कुल पदक जीत चुकी है। वह युवाओं को कोचिंग भी दे रही है।
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