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दक्षिण गुजरात में अब लेप्टोस्पायरोसिस दूर की बात, आखिर कैसे संभव हुआ

locationसूरतPublished: Sep 24, 2019 10:14:26 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

किमोप्रोफाइलेक्सिस और जागरुकता से घट गई लेप्टो मरीजों की संख्या
दक्षिण गुजरात में हर साल हाहाकार मचाने वाली बीमारी के इस बार सिर्फ 15 मरीज सामने आए

दक्षिण गुजरात में अब लेप्टोस्पायरोसिस दूर की बात, आखिर कैसे संभव हुआ

दक्षिण गुजरात में अब लेप्टोस्पायरोसिस दूर की बात, आखिर कैसे संभव हुआ

संजीव सिंह @ सूरत.

सूरत समेत दक्षिण गुजरात में रासायनिक पदार्थों से रोगों की रोकथाम (किमोप्रोफाइलेक्सिस) का तरीका अपनाने से लेप्टोस्पायरोसिस के मरीजों की संख्या घट गई है। बुखार के मरीजों की पहचान कर डॉक्सिसाइक्लीन दवाई दी गई, जिससे मरीजों की संख्या घटी। हालांकि तीन जिलों में लेप्टो के चार नए पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं। इनमें सूरत के दो, नवसारी और तापी जिले का एक-एक मरीज शामिल है।
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दक्षिण गुजरात में दो-तीन साल पहले तक हाहाकार मचाने वाले लेप्टोस्पायरोसिस के मरीजो की संख्या में भारी कमी आई है। सरकारी न्यू सिविल अस्पताल में इस साल नहीं के बराबर मरीजों को रैफर किया गया। सूरत जिले के अलावा भरुच, नर्मदा, तापी, नवसारी, वलसाड, डांग से लेप्टो के मरीज न्यू सिविल अस्पताल रैफर किए जाते रहे हैं। मानसून सीजन अंतिम दौर में है, लेकिन इस बार दक्षिण गुजरात में लेप्टो के सिर्फ पंद्रह मरीज सामने आए हैं।
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सूरत आरडीडी डॉ. आर.के. कंच्छल ने बताया कि प्रत्येक जिले में जून से ही स्वास्थ्य कर्मचारियों को अलग-अलग टीम बनाकर गांव-गांव सर्वे अभियान के लिए नियुक्त किया गया। प्रत्येक टीम ने घर-घर जाकर बुखार के मरीजों की पहचान की और समय पर अस्पताल रैफर किया। लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जाते हंै। इनमें एन्टी रोडेंट एक्टिविटी सबसे महत्वपूर्ण है। यह प्रक्रिया मई से ही शुरू कर दी जाती है। इसके बाद जून से स्वास्थ्य कर्मचारियों से सर्वे अभियान शुरू कराया गया। लोगों में लेप्टोस्पायरोसिस को लेकर जागरुकता बढ़ी है। ग्रामीणों में बार-बार यह बीमारी होने से उनमें रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ी है।
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न्यू सिविल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अश्विन वसावा ने बताया कि किमोप्रोफाइलेक्सिस के कारण मरीजों की संख्या घटी है। बुखार के मरीजों तथा संभवित लेप्टो मरीजों को डॉक्सिसाइक्लीन देकर पहले ही खतरे से बचा लिया जाता है। इस साल बारिश अधिक हुई है। फिर भी सूरत समेत दक्षिण गुजरात में लेप्टो मरीजों की संख्या सिर्फ पन्द्रह दर्ज की गई है।
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चार नए पॉजिटिव मरीज

सूरत, नवसारी तथा तापी जिले में लेप्टोस्पायरोसिस के चार नए पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं। इसमें दो मरीज सूरत जिले के बताए गए हैं। नवसारी और तापी जिले में एक-एक मरीज दर्ज हुआ है। पूरे सीजन में दक्षिण गुजरात में अब तक पन्द्रह मरीज मिले हैं। इनमें 12 पुरुष तथा तीन महिलाएं हैं। सबसे अधिक आठ मरीज सूरत जिले के हैं। तापी जिले में चार, नवसारी जिले में दो तथा वलसाड जिले में एक मरीज मिला।

दवाइयों के साथ मलहम वितरण

चिकित्सकों ने बताया कि मई में एंटी रोडेंट एक्टिविटी, जून में किसानों तथा मजदूरों को पैरों में होने वाले चीरे को ठीक करने के लिए मलहम का वितरण शुरू किया जाता है। इसके बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों के सर्वे अभियान की शुरुआत होती है। संभवित मरीजों की तुरंत पहचान के कारण उसे डॉक्सिसाइक्लीन टेबलेट दी जाती है। संयुक्त रूप से चलने वाले पूरे कार्यक्रम के कारण लेप्टो के मरीजों की संख्या घटी है।

दस साल में बदलता है पैटर्न

चिकित्सक ग्रामीणों में जागरुकता तथा सरकार की ओर से चलाए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा बीमारी का पैटर्न बदलने को भी एक कारण मानते हंै। सूरत समेत दक्षिण गुजरात में पन्द्रह साल से लेप्टो बीमारी का असर घट रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि दस साल में लेप्टो मरीजों के पैटर्न में बदलाव देखा गया है। ग्रामीणों में इम्यूनिटी पावर बढऩे से मरीज घटे हैं, लेकिन इसे थ्योरिटिकल साबित नहीं किया जा सकता।

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