अभियुक्त राकेश मिसरीलाल प्रजापति पर पांच साल की बच्ची से बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप था। आरोप के मुताबिक वर्ष 2017 में सचिन क्षेत्र निवासी अपने दोस्त की पांच साल की बेटी को चॉकलेट दिलवाने के बहाने मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गया। इसके बाद झाडिय़ों में ले जाकर बलात्कार किया। पुलिस ने आइपीसी की धारा 376, 377 और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया था।
चार्जशीट पेश करने के बाद से मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत में चल रही थी। सुनवाई के दौरान सहायक लोकअभियोजक किशोर रेवलिया आरोपों को साबित करने में सफल रहे। मंगलवार कोर्ट ने अभियुक्त राकेश प्रजापति को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अभियुक्त आर्थिक रूप से सुदृढ़, पीडि़ता के लिए मांगा 25 लाख मुआवजा
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोकअभियोजक ने नारायण सांई समेत सभी अभियुक्तों को अधिकतम सजा सुनाने के साथ पीडि़ता के लिए मुआवजा चुकाने की भी मांग की गई। लोकअभियोज पी.एन.परमार ने कोर्ट से कहा कि मुख्य अभियुक्त नारायण सांई की करोड़ों की अवैध संपत्ति मिली है। उसने मामले को रफा-दफा करने के लिए पुलिस को 13 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी प्रयास किया था, तभी नकद आठ करोड़ रुपए पुलिस ने जब्त किए थे।
इसी बात से अभियुक्त की आर्थिक मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में पीडि़ता को 25 लाख रुपए का मुआवजा अभियुक्त की ओर से चुकाया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने पीडि़ता को पांच लाख रुपए चुकाने का अभियुक्त को आदेश दिया।
पीडि़ता और नारायण की पत्नी के बयान बने सबसे अहम
अभियुक्तों पर शिकंजा कसने में पीडि़ता और नारायण की पत्नी जानकी के बयान अहम साबित हुए। 11 वर्ष पुराना मामला होने से प्रकरण गवाहों और सबूतों पर ही आधारित था। नारायण की पत्नी ने कोर्ट में उसकी करतूतों के बारे में बताया। साथ ही 53 गवाहों के बयान भी दर्ज कराए गए।