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जैसा सोचोगे, वैसा पहनोगे, सूरत के कपड़ा उद्यमियों का कमाल

locationसूरतPublished: Mar 22, 2018 09:52:28 pm

Submitted by:

Pradeep Mishra

सूरत का कपड़ा उद्योग अब डिजिटल प्रिंटिंग की ओर300 मशीनों से प्रतिदिन 10 लाख मीटर कपड़े पर होती है प्रिंटिंग

file photo
प्रदीप मिश्रा
सूरत

बदलते फैशन के साथ सूरत के कपड़ा उद्यमी अपने उत्पाद को नए रूप में ढाल रहे हैं। अब तक सूरत का कपड़ा उद्योग पिं्रटिंग और वर्क की साड़ी के लिए प्रख्यात था, धीरे-धीरे यहां डिजिटल प्रिंट का काम बढ़ा है। आज सूरत में डिजिटल प्रिंटिंग की अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी वाली मशीनें हैं और प्रतिदिन 10 लाख मीटर कपड़ों पर डिजिटल प्रिंटिंग होती है।
कपड़ा उद्यमियों का मानना है कि सूरत के कपड़ा उद्योग को समय के साथ तालमेल करना पड़ेगा, नहीं तो व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यहां के उद्यमी कभी मक्के के दाने से साड़ी बनाकर, कभी बनारस के कॉटन जैसी साड़ी तैयार कर और कभी बाहूबली प्रिंट वाली साडिय़ां बनाकर ग्राहकों की पसंद टटोलने का प्रयास करते रहते हैं। सूरत के उद्यमियों ने डिजिटल प्रिंटिंग पर काम करना शुरू किया है। वैश्विक बाजार और बड़े शहरों में फैशन की डिमांड को देखते हुए उद्यमी प्रिंटिंग वाले कपड़ों के साथ डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों के उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। कपड़ा उद्यमियों के अनुसार आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट का काम ही ज्यादा रहेगा। जिस तरह से फैशन बदल रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि साड़ी, ड्रेस और गारमेंट में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग बढ़ेगी। सूरत में चार-पांच साल पहले डिजिटल कपड़ों का उत्पादन बहुत कम था, जो अब प्रतिदिन पांच से दस लाख मीटर तक हो गया है। मध्यम और बड़े उद्यमी डिजिटल प्रिंटिंग की मशीनें आयात कर रहे हैं। सूरत में लगभग 300 मशीनों पर डिजिटल प्रिंङ्क्षटग हो रही है। यह मशीनें ज्यादातर इटली और चीन से आयात की जाती हैं। इनकी कीमत 50 लाख से तीन करोड़ रुपए तक है। कम्प्यूटर आधारित इन मशीनों को चलाने के लिए प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता है।
फिलहाल लागत ज्यादा
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सामान्य पिं्रटिंग की अपेक्षा डिजिटल पिं्रटिंग के लिए कपड़ों पर अलग कलर-केमिकल की आवश्यकता होती है, जो महंगे होते हैं। इसलिए डिजिटल प्रिंङ्क्षटग के बाद कपड़ों की कीमत लगभग दो गुना बढ़ जाती है। हालांकि इस तकनीक में कलर-केमिकल वेस्ट नहीं होता, क्योंकि कम्प्यूटर से कमांड मिलने के बाद जरूरत के हिसाब से कलर का इस्तेमाल होता है। इसमें कई प्रकार के कलर पर भी काम हो सकता है, जो सामान्य पिं्रटिंग में मुश्किल है। उद्यमी कल्पना के मुताबिक डिजिटल प्रिंटिंग से कपड़ों को मनचाहा रूप-रंग दे हैं। विदेशों में इन कपड़ो की मांग ज्यादा होने से सूरत के उद्यमियों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुल गए हैं।
कम प्रदूषण
बदलते फैशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट के कपड़ों की अच्छी मांग रहेगी। सूरत के उद्यमी इस ओर अग्रसर हो रहे हैं। फैशनप्रिय महिलाएं डिजिटल प्रिंट के कपड़े पसंद करती हैं। इन्हें बनाने में कलर-केमिकल बचता है और प्रदूषण भी कम होता है। आने वाले दिनों में इन कपड़ों का व्यापार अच्छा रहेगा।
सुभाष धवन, कपड़ा उद्यमी
बढ़ रही है मांग
आने वाले दिनों मे डिजिटल प्रिंट की अच्छी मांग रहेगी। इनकी मशीनें महंगी होने से उत्पादन शुल्क ज्यादा होता है, लेकिन जब भारत में मशीन बनेंगी तो लागत कम हो जाएगी। फिलहाल सूरत में लगभग 300 मशीनें हैं। बड़े शहरों में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग ज्यादा है। धीरे-धीरे व्यापारी इस ओर बढ़ रहे हैं।
सुभाष अग्रवाल, व्यापारी
भविष्य सुनहरा
डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों का भविष्य सुनहरा है। कपड़ा कारोबारी इस ओर रुख कर रहे हैं। सूरत में फिलहाल डिजिटल प्रिंङ्क्षटग की 125 बड़ी और करीब एक हजार पेपर ट्रांसफर मशीनें हैं। अंदाजन दस लाख मीटर कपड़ों पर डिजिटल प्रिंङ्क्षटग का काम होता है। फैशन के अनुरूप कम कपड़ों पर भी डिजिटल प्रिंङ्क्षटग हो सकती है।
हरीश वीरमानी, कपड़ा उद्यमी
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