सामान्य पिं्रटिंग की अपेक्षा डिजिटल पिं्रटिंग के लिए कपड़ों पर अलग कलर-केमिकल की आवश्यकता होती है, जो महंगे होते हैं। इसलिए डिजिटल प्रिंङ्क्षटग के बाद कपड़ों की कीमत लगभग दो गुना बढ़ जाती है। हालांकि इस तकनीक में कलर-केमिकल वेस्ट नहीं होता, क्योंकि कम्प्यूटर से कमांड मिलने के बाद जरूरत के हिसाब से कलर का इस्तेमाल होता है। इसमें कई प्रकार के कलर पर भी काम हो सकता है, जो सामान्य पिं्रटिंग में मुश्किल है। उद्यमी कल्पना के मुताबिक डिजिटल प्रिंटिंग से कपड़ों को मनचाहा रूप-रंग दे हैं। विदेशों में इन कपड़ो की मांग ज्यादा होने से सूरत के उद्यमियों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुल गए हैं।
कम प्रदूषण
बदलते फैशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट के कपड़ों की अच्छी मांग रहेगी। सूरत के उद्यमी इस ओर अग्रसर हो रहे हैं। फैशनप्रिय महिलाएं डिजिटल प्रिंट के कपड़े पसंद करती हैं। इन्हें बनाने में कलर-केमिकल बचता है और प्रदूषण भी कम होता है। आने वाले दिनों में इन कपड़ों का व्यापार अच्छा रहेगा।
सुभाष धवन, कपड़ा उद्यमी
बदलते फैशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट के कपड़ों की अच्छी मांग रहेगी। सूरत के उद्यमी इस ओर अग्रसर हो रहे हैं। फैशनप्रिय महिलाएं डिजिटल प्रिंट के कपड़े पसंद करती हैं। इन्हें बनाने में कलर-केमिकल बचता है और प्रदूषण भी कम होता है। आने वाले दिनों में इन कपड़ों का व्यापार अच्छा रहेगा।
सुभाष धवन, कपड़ा उद्यमी
बढ़ रही है मांग
आने वाले दिनों मे डिजिटल प्रिंट की अच्छी मांग रहेगी। इनकी मशीनें महंगी होने से उत्पादन शुल्क ज्यादा होता है, लेकिन जब भारत में मशीन बनेंगी तो लागत कम हो जाएगी। फिलहाल सूरत में लगभग 300 मशीनें हैं। बड़े शहरों में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग ज्यादा है। धीरे-धीरे व्यापारी इस ओर बढ़ रहे हैं।
सुभाष अग्रवाल, व्यापारी
आने वाले दिनों मे डिजिटल प्रिंट की अच्छी मांग रहेगी। इनकी मशीनें महंगी होने से उत्पादन शुल्क ज्यादा होता है, लेकिन जब भारत में मशीन बनेंगी तो लागत कम हो जाएगी। फिलहाल सूरत में लगभग 300 मशीनें हैं। बड़े शहरों में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग ज्यादा है। धीरे-धीरे व्यापारी इस ओर बढ़ रहे हैं।
सुभाष अग्रवाल, व्यापारी
भविष्य सुनहरा
डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों का भविष्य सुनहरा है। कपड़ा कारोबारी इस ओर रुख कर रहे हैं। सूरत में फिलहाल डिजिटल प्रिंङ्क्षटग की 125 बड़ी और करीब एक हजार पेपर ट्रांसफर मशीनें हैं। अंदाजन दस लाख मीटर कपड़ों पर डिजिटल प्रिंङ्क्षटग का काम होता है। फैशन के अनुरूप कम कपड़ों पर भी डिजिटल प्रिंङ्क्षटग हो सकती है।
हरीश वीरमानी, कपड़ा उद्यमी
डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों का भविष्य सुनहरा है। कपड़ा कारोबारी इस ओर रुख कर रहे हैं। सूरत में फिलहाल डिजिटल प्रिंङ्क्षटग की 125 बड़ी और करीब एक हजार पेपर ट्रांसफर मशीनें हैं। अंदाजन दस लाख मीटर कपड़ों पर डिजिटल प्रिंङ्क्षटग का काम होता है। फैशन के अनुरूप कम कपड़ों पर भी डिजिटल प्रिंङ्क्षटग हो सकती है।
हरीश वीरमानी, कपड़ा उद्यमी