मछुआरों का कहना कि मानसून के चार माह उन्हें घर के निकट रोजगार मिल जाता है। मधुबन डेम से पानी के साथ मछलियों का बड़े पैमाने पर निकास होता है। दमणगंगा में मछलियां भी पानी के साथ बहकर आ रही है। वहीं, रविवार को कई बार धीमी बारिश हुई और बीच-बीच में सुर्यदेव ने भी दर्शन दिए। बारिश के कारण दपाड़ा, सुरंगी, आंबोली, खोरड़ी, खानवेल, रूदाना के अधिकांश खेत पानी से भर गए है। साकरतोड़ नदी किनारे मैदानी जमीन तालाब में बदल गई। 4-5 दिन से हो रही बारिश मछ़ुआरों के लिए ज्यादा खुशी लेकर आई हैं। पानी में मछलियों की अनेक प्रजातियां मिल रही हैं। इन मछलियों की वापी, वलसाड, नवसारी, उमरगांव, सूरत और मुंबई में अच्छी मांग हैं।
मत्स्य व्यापारी रहीमभाई ने बताया कि यहां से प्रतिदिन 20 टन से अधिक मछलियां अन्य बाजारों में भेजी जाती हैं। मधुबन डेम के आसपास जल भराव वाले क्षेत्रों में भी मछलियों का खासा भंडार है। स्थानीय मछुआरे मछलियों को सूखाकर भी बाजारों में बेचते हैं।