वर्ष 2005 से फाइलों में कैद तापी नदी पर मगदल्ला के समीप बैराज के प्रस्ताव अब तक रफ्तार पकड़ता नहीं दिख रहा। लंबे वक्त तक बलून तकनीक पर मंथन के बाद फिजिबिलिटी नहीं मिलने पर इसे ठंडे बस्ते मेंं डाल दिया गया था। बाद के दिनों में ऐ एक बार फिर इस पर कवायद शुरू हुई और मनपा प्रशासन ने कन्वेंशनल बैराज की फिजिबिलिटी पर काम शुरू किया। इस प्रस्ताव को वित्त वर्ष 2019-20 के बजट का हिस्सा भी बनाया गया। लोकसभा 19 के चुनाव के दौरान मई महीने में म़ुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मामले को प्राथमिकता पर लेते हुए चुनाव आचार संहिता हटने के बाद काम में तेजी लाने की हिदायत दी थी। आचार संहिता हटने के बाद मनपा प्रशासन ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी। साइट पर काम शुरू होता इससे पहले कोरोना संक्रमण के कारण मामला एक बार फिर अटक गया।
संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाने के बाद मनपा प्रशासन का कामकाज पटरी पर लौटने लगा था। मगदल्ला बैराज पर काम शुरू होता उससे पहले ही इसकी भरण क्षमता बढ़ाने के विकल्प पर चर्चा शुरू हुई है। मगदल्ला बैराज के प्रोजेक्ट पर गांधीनगर भी बारीक नजर रखे हुए है। बैराज की भरण क्षमता बढ़ाने के प्रस्ताव को भी गांधीनगर भेजा गया है। वहां से हरी झंडी के बाद ही इस पर काम आगे शुरू हो पाएगा।
डाउन स्ट्रीम में भी बहेगी तापी मगदल्ला में प्रस्तावित बैराज बनने के बाद तापी नदी डाउन स्ट्रीम में बहने लगेगी। इससे जहां नदी तल की गुणवत्ता में सुधार होगा, आसपास की जमीन का खारापन भी दूर हो जाएगा। तापी नदी के सिंगणपोर कोजवे पर बंधने के बाद से डाउनस्ट्रीम में मानसून के दौरान ही नदी का पानी बहता दिखता है। आम दिनों में भरती के समय आया समुद्र का पानी ही तापी के पाट को भरने की असफल कोशिश करता दिखता है। समुद्र के पानी के खारेपन से डाउन स्ट्रीम में नदी तल लगभग पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। डाउनस्ट्रीम में दोनों ओर की जमीन में खारापन बढ़ गया है, जिससे इस क्षेत्र में हो रहे निर्माण की गुणवत्ता बिगड़ रही है। मगदल्ला तक तापी में मीठा पानी रहेगा तो नदी के दोनों ओर अठवा और रांदेर जोन की जमीन का खारापन भी धीरे-धीरे कम होने में मदद मिलेगी।
तैयार होगा भूमिगत रिजर्व वेल बैराज बनने के बद डाउन स्ट्रीम में मगदल्ला तक दोनों ओर करीब पांच रनिंग किमी तक जमीन के भीतर रिजर्व वेल तैयार होगा। पानी की यह खेती भूजल स्तर बढ़ाने में मदद करेगी। प्रस्तावित वियर कम कोजवे साइट पर मनपा प्रशासन ने सॉइल स्ट्रेटा की फिजिबिलिटी पर भी कवायद की थी, जो सकारात्मक रही है। तापी नदी पर मगदल्ला के समीप रूंढ में बैराज के निर्माण के बाद जहां बहाव क्षेत्र बढऩे से तापी नदी को संजीवनी मिलेगी, नदी के बहाव क्षेत्र में दोनों ओर जमीन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
इसलिए पड़ी जरूरत मनपा के पास पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए काकरापार से वियर कम कोजवे तक पाइपलाइन डालने या फिर मगदल्ला के समीप बैराज बनाने का विकल्प था। बैराज का विकल्प मनपा को ज्यादा बेहतर लगा था। मानसून के दौरान हजारों गैलन नदी का मीठा पानी दरिया में बह जाता है। बैराज बनाकर दरिया से पहले नदी के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही विजन 2040 में पीने के पानी की जरूरत पूरी करने के लिए अतिरिक्त जल की जरूरत होगी, जो प्रस्तावित बैराज से पूरी हो सकेगी।