scriptSurat News; सऊदी अरब के रियाद में फंसे नवसारी के कई युवक | Many young men of Navsari stranded in Riyadh, Saudi Arabia | Patrika News

Surat News; सऊदी अरब के रियाद में फंसे नवसारी के कई युवक

locationसूरतPublished: Sep 22, 2019 10:25:12 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

एसएससीएल कंपनी ने कई महीने से नहीं दिया वेतनस्वदेश लौटने के लिए जरूरी हकामा कार्ड रिन्यू नहीं

Surat News; सऊदी अरब के रियाद में फंसे नवसारी के कई युवक

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नवसारी. परिवार के उज्ज्वल भविष्य के लिए हजारों रुपए खर्च कर सऊदी अरब के रियाद शहर की एसएससीएल कंपनी में नौकरी करने गए नवसारी जिले के कई युवक फंस गए हैं। महीनों से कंपनी में काम नहीं होने से वेतन नहीं दिया जा रहा है। उनके लौटने के लिए जरूरी हकामा कार्ड रिन्यू नहीं होने से स्थिति दयनीय हो गई है। परिवार के लोग इस बात का पता चलने से चिंतित हंै और सरकार से मदद की आस लगा रहे हैं।
बताया गया है कि जिले के चिखली तहसील के रुमला गांव का सुरेश शुक्कर पटेल दस साल से रियाद की कंपनी में नौकरी के लिए जाता रहा है। पिछली बार 2017 में सुरेश रियाद गया था और वहां एसएससीएल कंपनी से जुड़ा था। कुछ महीने बाद कंपनी ने अचानक काम बंद कर दिया और सुरेश सहित काम कर रहे 80 से अधिक कर्मचारियों का वेतन भुगतान भी बंद कर दिया। इससे परेशान सुरेश और उसके साथियों ने कंपनी में हड़ताल भी की। इस बीच सऊदी अरब में जरूरी हकामा कार्ड की वेलिडिटी खत्म हो गई। इसके बाद सुरेश समेत सभी लोगों की हालत और दयनीय हो गई। क्योंकि भारत लौटने के लिए यह कार्ड बहुत जरूरी होता है। वहां की कोर्ट व भारतीय दूतावास में शिकायत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। अब सुरेश समेत सभी 80 भारतीय कर्मचारियों को देश में लौटने के लिए सरकार से मदद की आस बची है।
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पूरे परिवार की जिम्मेदारी सुरेश की पत्नी हसुमती पर
रुमला निवासी सुरेश पटेल के परिवार में बीमार पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। दो साल पहले रियाद गया सुरेश कई महीने से रुपए नहीं भेज पाया है। इसके कारण पूरे परिवार की जिम्मेदारी सुरेश की पत्नी हसुमती पर आ गई है। रिश्तेदारों की मदद से गुजारा तो हो जाता है, लेकिन बच्चों के स्कूल की फीस समेत अन्य खर्च की चिंता हमेशा लगी रहती है।
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कैसे हो बच्चों की परवरिश

हसुमती ने बताया कि दोनों बच्चे छोटे होने से वह बाहर काम पर नहीं जा सकती है। इसलिए यहां वहां छोटा काम या मजदूरी कर परिवार चला रही है। रिश्तेदार भी मदद कर देते हैं। हकामा कार्ड यहां के आधार कार्ड की तरह है। वह रिन्यू नहीं होने पर भारत नहीं लौट सकते हैं। उनके मेडिकल कार्ड की भी अवधि पूरी होने वाली है। यदि उससे पहले भारत नहीं लौटे तो परेशानी बढ़ जाएगी। सरकार से ही मदद की आशा बची है।
सुरेश के चचेरे भाई ने बताया कि कंपनी में कई दिनों तक खाना नहीं मिलने पर भारतीय दूतावास के प्रयासों से हाल में कैंटीन शुरू हुई है। सुरेश के साथ 80 से अधिक लोग फंसे हैं। सरकार से अपील है कि इस मामले में हस्तक्षेप कर सुरेश समेत सभी भारतीयों को देश लौटने में मदद करें।
इतने लोग फंसे
इस कंपनी में चिखली के रुमला गांव का सुरेश पटेल, रानकुआ गांव का कल्पेश लाड, गणदेवी तहसील के खापरवाड़ा गांव का किरण पटेल, धकवाड़ा गांव व बिलीमोरा आईटीआई के पीछे रहने वाले अरविन्द पटेल के अलावा अमलसाड, सूरत के अनावल समेत गुजरात के अन्य शहरों के 80 से ज्यादा लोग फंसे हैं।

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