रांदेर, भागल, डबगरवाड़ आदि इलाकों में दुकानें रंग-बिरंगी पतंगों और माझे की चरखियों से सज गई हैं।
कई इलाकों में पतंगें बनाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। गली-मोहल्लों में बच्चे अभी से पतंगे उड़ाते नजर आ रहे हैं।
पतंग के माझे से हर होने वाले हादसों को ध्यान में रखते हुए दुपहिया वाहन चालकों ने एहतियातन सुरक्षा के उपाय शुरू कर दिए हैं।
वह अपने वाहनों के आगे सेफ गार्ड लगवा रहे हैं। सूरत की पतंगबाजी दुनियाभर में मशहूर है।
यहां अडाजण रिवर फ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 10 जनवरी से शुरू होगा।