scriptसूरत में रोजगार और आर्थिक तंगी को लेकर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं | Maximum suicides in Surat due to employment and financial crisis | Patrika News

सूरत में रोजगार और आर्थिक तंगी को लेकर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं

locationसूरतPublished: Sep 10, 2019 08:46:40 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

वल्र्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे पर आज न्यू सिविल अस्पताल के मानसिक विभाग में होगा कार्यक्रम

सूरत में रोजगार और आर्थिक तंगी को लेकर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं

सूरत में रोजगार और आर्थिक तंगी को लेकर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं

सूरत.

शहर में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर न्यू सिविल अस्पताल के मानसिक विभाग में मंगलवार को वल्र्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे पर आम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। आत्महत्या के मामलों के पीछे रोजगार और आर्थिक तंगी संबंधी समस्याएं प्रमुख कारण हैं। आत्महत्या के वार्निंग साइन को पहचान कर व्यक्ति को आत्महत्या करने से रोका जा सकता है।
महिला की आंख और सिर की हड्डी के बीच फंसी कुकर की सिटी, डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन

न्यू सिविल अस्पताल के मानसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कमलेश दवे ने बताया कि इस साल वल्र्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की थीम ‘साथ मिलकर आत्महत्या को रोकें, एक मिनट दीजिए’ है। यदि हम रिश्तेदारों, दोस्तों, सहकर्मियों या अज्ञात व्यक्तियों के साथ भी एक मिनट बिताएंगे तो शायद उनके जीवन में बदलाव संभव है। जिन लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया और बच गए, वह बताते हैं कि उनके जीवन में क्या बदलाव आया है। यह लोग अब आत्महत्या के खिलाफ लोगों में जागरुकता फैलाते हैं।
चंद्रयान-2: अब लैंडर विक्रम ढूंढने के लिए बचे सिर्फ 11 दिन, ISRO ने साझा की बड़ी जानकारी

वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में प्रति चालीस सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। एक दिन में करीब तीन हजार लोग आत्महत्या करते हैं। समय पर डिप्रेशन वाले व्यक्ति की पहचान हो जाए तो उसे आत्महत्या से रोका जा सकता है। डॉ. कमेश दवे ने बताया कि कोई भी व्यक्ति, जिसके मन में आत्महत्या के ख्याल आते हैं, वह न्यू सिविल अस्पताल के ओपीडी तेरह में सम्पर्क कर सकता है।
आखिर सच आया सामने! पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर को बताया भारतीय राज्य


रिएक्टिव कारणों से मामले बढ़े

आम व्यक्ति के जीवन में तरह-तरह की समस्याएं आती रहती है। चिकित्सक इन्हें दो हिस्सों इंटरनल और रिएक्टिव में बांटते हैं। चिकित्सकों ने बताया कि इंटरनल मामलों में व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है। इलाज से उसकी जान बचाई जा सकती है। रिएक्टिव मामले परिस्थितिवश होते हैं। कई लोग नौकरी से वंचित होने पर आत्महत्या कर लेते हैं। पिछले कुछ समय से सूरत में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
Video: आंध्रप्रदेश में बड़ा हादसा, मुहर्रम के जुलूस में गिरी छत, कई घायल

आत्महत्या के वार्निंग साइन

मनोरोग चिकित्सक डॉ. कमलेश दवे ने बताया कि आत्महत्या से पहले कुछ संकेत दिखाई देते हैं। उन्हें समय पर समझना जरूरी है। व्यक्ति का निराश रहना, बेकाबू गुस्सा, अचानक गुस्सा, लापरवाही से वाहन चलाना, बार-बार जीवन में खतरे का सामना करना, शराब का सेवन, रिश्तेदारों-दोस्तों से दूर रहना, चिंता, बेचैनी, नींद कम आना और मूड जल्द खराब होना कुछ सामान्य लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे व्यक्ति से बातचीत कर उसके जीवन में आशा की किरण जगाई जा सकती है। ऐसे व्यक्ति को अपनत्व का एक मिनट जरूर दिया जाना चाहिए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो