सूरत गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज में गुजरात मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले सोमवार सुबह प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्यूटर समेत अन्य टीचिंग स्टाफ की बैठक बुलाई गई थी। इसमें एसोसिएशन के प्रमुख और मानसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कमलेश दवे, सचिव डॉ. पारुल वडगामा ने प्रोफेसरों को संबोधित किया। चिकित्सकों ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि कुछ दिन पहले रेजिडेंट डॉक्टरों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर हर तीन साल में स्टाइपेंड में होने वाली वृद्धि को लागू करने की मांग की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने तुरंत रेजिडेंट चिकित्सकों का स्टाइपेंड बढ़ाने का निर्णय किया था। लेकिन पिछले 8-9 वर्षो से मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों समेत टिचिंग स्टाफ की मांगों पर सरकार कोई निर्णय नहीं कर रही है। प्रमुख मांगों में सातवें वेतन आयोग के मुताबिक 2017 से मेडिकल टिचर्स को वेतन दिया जाए।
मेडिकल कॉलेज में वर्षो से एक ही पद पर कार्य करने वाले टीचिंग स्टाफ को पदोन्नती मिले। इसके अलावा कैरियर एडवांसमैन स्किम को सभी के लिए लागू किया जाना चाहिए। चिकित्सकों ने बताया कि कुछ लोगों को कैरियर एडवांसमैन स्किम का लाभ मिल रहा है, लेकिन ज्यादातर प्रोफेसर समेत अन्य स्टाफ इस लाभ से वंचित है। उन्होंने कहा कि हाल में रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन बढऩे के बाद अब मेडिकल प्राध्यापकों के समकक्ष या उससे ज्यादा हो गया है।
वहीं, प्रोफेसरों को अब तक सातवें वेतन आयोग के मुताबिक भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि पिछले दिनों कई बार सरकार के बड़े अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करके मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों की मांग रखी है। लेकिन हर बार सरकार वित्त विभाग के पास बजट नहीं है या फाइल रुकी है, कहकर मामले को टाल दिया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में सोमवार को प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्यूटर समेत अन्य टीचिंग स्टाफ की बैठक हुई है। अहमदाबाद में मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रजनीश पटेल ने सभी को संबोधित कर सरकार को मांगों से अवगत करवाया है। सभी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों ने सरकार को सात दिन का समय दिया है। अगर सात दिन में मांगें पूरी नहीं होती है तो 10 मई से सभी मेडिकल कॉलेज का टीचिंग स्टाफ हड़ताल पर चले जाएगा।