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MOHAN DELKAR SUCIDE CASE: मुंबई पुलिस को फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

locationसूरतPublished: Feb 24, 2021 07:11:07 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

जिस होटल में डेलकर ने आत्महत्या की, उसमें रखा सामान, सुसाइड नोट व गले का दुपट्टा आदि बरामद करके फोरंेसिकजांच के लिए भेजा गया है। सुसाइड नोट गुजराती भाषा में लिखा पुलिस को मिला

MOHAN DELKAR SUCIDE CASE: मुंबई पुलिस को फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

MOHAN DELKAR SUCIDE CASE: मुंबई पुलिस को फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

सिलवासा. संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर द्वारा खुदकुशी की घटना को लेकर मुंबई पुलिस जांच में जुट गई है और फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। जिस होटल में डेलकर ने आत्महत्या की, उसमें रखा सामान, सुसाइड नोट व गले का दुपट्टा आदि बरामद करके फोरंेसिकजांच के लिए भेजा गया है। सुसाइड नोट गुजराती भाषा में लिखा पुलिस को मिला है।
संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली समेत आसपास में सांसद मोहन डेलकर द्वारा आत्महत्या का मामला लोगों की चर्चा का विषय बना हुआ है। क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनी रहे इसके लिए पुलिस गश्त बढ़ाने के साथ भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। अक्टूबर में स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान डेलकर ने जनता दल यू का समर्थन लिया था और वे जेडीयू के चिन्ह पर जिला पंचायत पर भारी बहुमत से कब्जा किए थे। माह के शुरूआती दिनों में वे बिहार के मुख्यमंत्री से मिले गए थे और उनकी पार्टी के सांसदों के एक दल को 23 फरवरी को सिलवासा आने का न्यौता देकर भी आए थे। डेलकर ने अपने सांसद लेटरहेड पर 15 पेज का सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा है। पुलिस के अनुसार यह सुसाइड नोट किसी के नाम संबोधित नहीं था। घटना वाले दिन यह सुसाइड नोट डेलकर के परिजनों को दिखाया गया कि क्या उन्हीं की हेडराइटिंग हैं? हेडराइटिंग जांच के लिए पुलिस एक्सपर्ट की मदद ले रही है। पुलिस अब पोस्टमार्टम के बाद विसरा रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रही है। जानकारी के अनुसार राजनीतिक प्रकरणों को लेकर डेलकर पिछले कई दिनों से परेशान थे। वे मुंबई हाईकोर्ट के एक मामले को लेकर 21 फरवरी को मुंबई गए थे, तब वे अपने ड्राइवर और गार्ड के साथ मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित सी ग्रीन होटल में ठहरे थे। ड्राइवर और गार्ड दूसरे कमरे में थे। 22 फरवरी को सुबह देर तक डेलकर कमरे से बाहर नहीं निकले तब होटल संचालक व पुलिस को बुलाकर कमरा खोला गया था। डेलकर का शव कमरे में लगे पंखे के हुक से लटका हुआ था। मुंबई पुलिस सुसाइड नोट को लेकर जांच कर रही है।

वर्ष 1961 में दादरा नगर हवेली भारतीय गणराज्य में सम्मिलित होने के बाद मोहन डेलकर के पिता सनजी डेलकर पहली बार 1966 में मनोनीत सांसद बने और वे दूसरी बार कांग्रेस की टिकट पर फिर निर्वाचित कर लिए गए। युवाकाल में मोहन डेलकर ने राजनैतिक करियर की शुरूआत क्षेत्र के उद्योग, कल कारखानों में काम करने वाले जनजातीय समुदाय के अधिकारों को लेकर की। वर्ष 1985 में उन्होंने आदिवासी विकास संगठन खड़ा किया एवं 26 वर्ष की अल्प आयु में वर्ष 1989 के पहली बार निर्दलीय सांसद बने। एक बार सांसद बनने के बाद सफलता उनके मस्तिष्क को चुमती रही। लोकसभा चुनाव 1991 व 1996 में कांग्रेस की टिकट पर जीते। वर्ष 1998 में भाजपा व 1999 में निर्दलीय सांसद के तौर पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2004 में भारतीय नवशक्ति पार्टी की रचना की एवं इसी के चुनाव चिन्ह चुनाव पर विजयी रहे। वर्ष 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जरूर पराजय का मुंह देखना पड़ा। 17वीं लोकसभा चुनाव में वे फिर निर्दलीय चुनाव लड़े और नरेन्द्र मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद चुनाव में सफल रहे। सात बार चुनाव जीतने के कारण गृहमंत्री की अध्यक्षता वाली परामर्श कमेटी में उन्हें शामिल किया गया। कमेटी में रामविलास पासवान के बाद वे दूसरे नंबर पर वरिष्ठ सांसद थे।

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