वर्ष 1961 में दादरा नगर हवेली भारतीय गणराज्य में सम्मिलित होने के बाद मोहन डेलकर के पिता सनजी डेलकर पहली बार 1966 में मनोनीत सांसद बने और वे दूसरी बार कांग्रेस की टिकट पर फिर निर्वाचित कर लिए गए। युवाकाल में मोहन डेलकर ने राजनैतिक करियर की शुरूआत क्षेत्र के उद्योग, कल कारखानों में काम करने वाले जनजातीय समुदाय के अधिकारों को लेकर की। वर्ष 1985 में उन्होंने आदिवासी विकास संगठन खड़ा किया एवं 26 वर्ष की अल्प आयु में वर्ष 1989 के पहली बार निर्दलीय सांसद बने। एक बार सांसद बनने के बाद सफलता उनके मस्तिष्क को चुमती रही। लोकसभा चुनाव 1991 व 1996 में कांग्रेस की टिकट पर जीते। वर्ष 1998 में भाजपा व 1999 में निर्दलीय सांसद के तौर पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2004 में भारतीय नवशक्ति पार्टी की रचना की एवं इसी के चुनाव चिन्ह चुनाव पर विजयी रहे। वर्ष 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जरूर पराजय का मुंह देखना पड़ा। 17वीं लोकसभा चुनाव में वे फिर निर्दलीय चुनाव लड़े और नरेन्द्र मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद चुनाव में सफल रहे। सात बार चुनाव जीतने के कारण गृहमंत्री की अध्यक्षता वाली परामर्श कमेटी में उन्हें शामिल किया गया। कमेटी में रामविलास पासवान के बाद वे दूसरे नंबर पर वरिष्ठ सांसद थे।