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अंतराल के बाद मानसून सक्रिय

locationसूरतPublished: Sep 08, 2018 07:42:50 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

प्रदेश में बरसे मेघ

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अंतराल के बाद मानसून सक्रिय

सिलवासा. प्रदेश में काफी समय बाद मानसून ने दस्तक दी है। शनिवार को रुक-रुककर बारिश का दौर दिनभर जारी रहा। प्रदेश के सायली, उमरकुई, किलवणी, रांधा, रखोली, रूदाना, मांदोनी, सिंदोनी, दुधनी में बारिश के समाचार है। मानसून सक्रिय होने से किसानों के चेहरों की रौनक लौट आई है।
बाढ़ नियंत्रण केन्द्र ने शनिवार को 12 मिमी बारिश दर्ज की है और प्रदेश में अभी तक मानसून सत्र में कुल 2358.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। जुलाई में मानसून का जो रुख रहा, वह अगस्त में कमजोर पड़ गया। सितम्बर में बारिश रुकने से दमणगंगा और साकरतोड़ नदियों में पानी का स्तर घट गया था, लेकिन शनिवार को बारिश होते ही दमणगंगा पर रखोली, कराड़, अथाल, लवाछा में बने चेकडेम पानी से भरने लगे हैं। अथाल में नदी का जलस्तर 26 मीटर है। मधुबन डेम का जलस्तर 77.25 मीटर पहुंचा है। खानवेल, मांदोनी, दूधनी, सिंदोनी और खेरड़ी में वर्षा का ग्राफ अधिक हैं। मानसून सक्रिय रहने से खरीफ की खेती लहलहा उठी है। किसानों के अनुसार अधिक बारिश से खरपतवार की कई प्रजातियां खेतों में उग आई हैं। अच्छी उपज के लिए खेत से खरपतवार निकालना जरूरी है।

जैविक खेती का प्लान फेल


कृषि विभाग ने दपाड़ा, आंबोली तथा दुधनी के गांवों में करीब 4500 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की थी। बाद में किसानों ने जैविक खेती को नकार दिया तथा कृषि विभाग ने फसलों के लिए 100 टन यूरिया व 100 टन डीएपी खाद खरीदना पड़ा। कृषि अधिकारी सुरेश भोया ने बताया कि जैविक खेतों में रासायनिक खाद, उर्वरक या पेस्टिसाइड्स का प्रयोग नहीं किया जाता है लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं हुए। प्रारम्भ में किसान जैविक खेती के प्रति उत्साहित थे, लेकिन उत्पादन कम होने की आशंका से खेतों में उर्वरक डालने शुरू कर दिए। उर्वरक प्रयोग करने से फसलों में सिंचाई की जरूरत और बढ़ गई है। मानसून सक्रिय होते ही अच्छी पैदावार की संभावना बढ़ गई हैं।

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