24 घंटे में 24.5 मिमी बारिश दर्ज
बाढ़ नियंत्रण केन्द्र ने गत 24 घंटे में 24.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है। शहर में कुल बारिश 2030.2 मिमी रिकार्ड हो चुकी है। शहर के दक्षिणी क्षोर के गांवों में बारिश कम है। शहर की अपेक्षा मधुबन में बारिश 1786 मिमी, खानवेल में 1875 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। जुलाई में घनघोर बारिश के बाद अगस्त आरम्भ होते बादल सुस्त पड़े हैं। इससे नदी नालों का जलस्तर गिरने लगा था। माह के पहले सप्ताह में सिर्फ 10 मिमी पानी बरसा है। जुलाई के बाद मानसून कमजोर पड़ते ही मधुबन डेम के सभी दरवाजे बंद कर दिए थे। इसके बाद डेम में सहयाद्री पहाडिय़ों के झरनों से 6710 क्यूसेक की दर से पानी संग्रह हो रहा है। वर्तमान में डेम का जलस्तर 75 मीटर पार कर गया है।
बाढ़ नियंत्रण केन्द्र ने गत 24 घंटे में 24.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है। शहर में कुल बारिश 2030.2 मिमी रिकार्ड हो चुकी है। शहर के दक्षिणी क्षोर के गांवों में बारिश कम है। शहर की अपेक्षा मधुबन में बारिश 1786 मिमी, खानवेल में 1875 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। जुलाई में घनघोर बारिश के बाद अगस्त आरम्भ होते बादल सुस्त पड़े हैं। इससे नदी नालों का जलस्तर गिरने लगा था। माह के पहले सप्ताह में सिर्फ 10 मिमी पानी बरसा है। जुलाई के बाद मानसून कमजोर पड़ते ही मधुबन डेम के सभी दरवाजे बंद कर दिए थे। इसके बाद डेम में सहयाद्री पहाडिय़ों के झरनों से 6710 क्यूसेक की दर से पानी संग्रह हो रहा है। वर्तमान में डेम का जलस्तर 75 मीटर पार कर गया है।
चेकडेम ओवरफ्लो
मानसून सक्रिय होते ही मांदोनी, सिंदोनी, उमरकुई के झरने पुन: बहने लगे हैं। दमणगंगा व साकरतोड़ के चेकडेम ओवरफ्लो हो गए हैं। बिन्द्राबीन, अथोला में पानी की लेवल बढ़ गया है। गांव और जंगलों में सार्वजनिक स्थलों पर बने तालाबों में पानी भर गया है। जलभराव वाले क्षेत्रों में ताल-तलैया दिखाई देने लगे हैं।
यह है किसानों की मान्यता
प्रदेश के ग्रामीण किसानों की मान्यता है कि सावन में दिवासा से रक्षाबंधन तक अच्छी वर्षा होती है। रक्षाबंधन के बाद मानसून की कोई गारंटी नहीं रहती है। इस बार बारिश के कारण खरीफ की फसलों में कहीं नुकसान नहीं है। समय पर बारिश होने से खेतों में फसलों के साथ पशुओं की घास भी हरी हो गई है। मानसून की बौछारों से खेतों में सावन की छटा रंग बिखेर रही है। किसान खेतों से घास और खरपतवार निकालकर मवेशियों के लिए लाने लगे हैं। रांधा, किलवणी, आंबोली, सुरंगी अंचल में धान की अच्छी खेती है। खेतों में खरीफ की अगेती फसल तेजी से वृद्धि कर रही है।