कतारगाम जोन में सेवारत सर्वेयर दिलीप के पास एक हीरा श्रमिक का वेरा बिल में नाम ट्रांसफर करने का आवेदन आया था। दिलीप ने इसके लिए एक हजार रुपए की रिश्वत की मांग की और आखिर सात सौ रुपए देने का तय हुआ, लेकिन हीरा श्रमिक ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में इसकी शिकायत कर दी। ब्यूरो के अधिकारियों ने 5 जनवरी, 2006 को जाल बिछाया और सर्वेयर दिलीप को हीरा श्रमिक से सात सौ रुपए की रिश्वत लेते हुए धर दबोचा। चार्जशीट पेश होने के बाद से मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। लोक अभियोजक दिगंत तेवार आरोपों को साबित करने में सफल रहे। मंगलवार को हुई अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अभियुक्त दिलीप प्रेसवाला को दोषी माना और दो साल की कैद और पांच सौ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।