मीडिया से बातचीत में २८ वर्षीय निराली उर्फ नीरू ने बताया कि संयम मार्ग उसने स्वयं चुना है तथा परिवार से इसकी अनुमति भी ली है। बारहवीं तक पढ़ी निराली फैशन डिजाइनिंग में भी नाम कमा चुकी है तथा विभिन्न खेलों में भी उसकी रुचि रही है। उसने बताया कि हमारे परिवार में पीढिय़ों से कोई दीक्षा नहीं हुई है।
गुरुभगवंतों के संपर्क में आने पर उसे जीवन के सत्य का पता चला। उनका परिवार बनासकांठा जिले के वाव गांव का मूल निवासी है। उनकी तीन बहनें हैं। माता रमीला बेन एवं पिता दिनेश मेहता को कोई पुत्र नहीं होने के कारण उन्हें शुरू में चिंता होती थी, लेकिन जब जीवन के सत्य पता चला तो गुरुभगवंतों से यह भी पता चला कि सांसारिक इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। सच्चा सुख संयम में ही है। एक पुत्री भी माता पिता की ७७ पीढिय़ों का नाम रोशन कर सकती है।