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दरगाह में धमाके के लिए नायर ने सप्लाई किए थे बम

locationसूरतPublished: Nov 25, 2018 06:56:51 pm

वर्ष 2007 की आतंकी साजिश में मारे गए थे तीन लोग, 17 हुए थे घायल, फरार तीन आरोपियों में शामिल था नायर

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दरगाह में धमाके के लिए नायर ने सप्लाई किए थे बम

भरुच. अजमेर की दरगाह शरीफ को धमाके से दहलाने के लिए बम सप्लाई करने का काम भरुच से हत्थे चढ़े आरोपी सुरेश नायर ने किया था। वह पिछले ११ साल से फरार तीन आरोपियों में से एक था जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ढूंढ रही थी और गिरफ्तारी पर दो लाख का इनाम भी घोषित था। दो अन्य आरोपियों में संदीप डांगे और रामचंद्र शामिल हैं, जो एनआइए और आतंकवाद निरोधी दस्तों के प्रमुख रडार पर भी हैं। आपको बता दें कि 2007 में अजमेर दरगाह बम विस्फोट में तीन लोग मारे गए थे और 17 घायल हो गए थे। भगोड़े सुरेश नायर को लेकर एटीएस अधिकारियों को टिप ऑफ मिली थी कि सुरेश नायर शुक्लतीर्थ के लिए नर्मदा नदी के किनारे जा रहा है।
स्वामी असीमानंद समेत छह हुए थे बरी


जयपुर में एनआइए की विशेष अदालत ने मार्च-2017 में मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद और छह अन्य लोगों को इस प्रकरण में बरी कर दिया था। सभी को संदेह का लाभ दिया था। बरी हुए लोगों में हर्षद सोलंकी, लोकेश शर्मा, मेहुल कुमार, मुकेश वसानी, भारत भाई और चंद्रशेखर शामिल थे। तीन अन्य को उम्रकैद की सजा दी गई थी। इनमें देवेंद्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को आइपीसी, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के विभिन्न वर्गों में दोषी पाया गया था।
भरुच का रहने वाला है भावेश


एनआइए की विशेष अदालत के फैसले को सजा पाने वाले आरोपियों ने राजस्थान की शीर्ष अदालत में चुनौती दी। अगस्त-२०१७ के आखिरी सप्ताह में कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भरूच के भावेश पटेल और अजमेर के देवेन्द्र गुप्ता (42) को जमानत दे दी। इनके वकीलों ने तर्क दिया था कि उनको अनुमान और परिस्थिति जन्य सबूतों के आधार पर दोषी पाया गया।
तीन दिनों में एटीएस की दूसरी बड़ी कार्रवाई


एटीएस गुजरात ने बीते तीन दिनों में दक्षिण गुजरात में दूसरी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। गत शुक्रवार को ही वलसाड जिले के वापी से दुर्दांत नक्सली राजेश उर्फ गोपाल प्रसाद उत्तम पुत्र रामबालक रविदास मोची को गिरफ्तार किया था। वह बिहार के गया जिले में नीमचकबथानी गांव का निवासी है। वर्ष 2016 में राजेश रविदास ने अपने साथी अनिल यादव, चंदन नेपाली और अन्य माओवादियों के साथ मिलकर औरंगाबाद के वन क्षेेत्र में आइइडी विस्फोट और ऑटोमैटिक हथियारों से हमला कर सीआरपीएफ के दस जवानों की हत्या कर दी थी। वह व्यापारियों एवं ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने में भी लिप्त था। माओवादी संगठन बिहार-झारखंड (मगध) विस्तार की स्पेशल कमेटी ने राजेश उर्फ गोपाल प्रसाद को जोनल कमांडर बना दिया था। एटीएस के अनुसार 2018 में वह दमण आया और गोपाल प्रसाद के नाम से रहने लगा और सुरक्षा गार्ड की नौकरी पर लग गया। वहां से कुछ दिन बाद वह वापी चला आया और भडक़मोरा के पास सुलपड़ में किसी दयाबेन की चाली में रहने लगा। वह यहां जीआइडीसी की क्रिएटिव टैक्सटाइल में काम कर रहा था। कुछ दिन पहले इसकी भनक एटीएस को लग गई।
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