script

NAVRATRI: 12-15 करोड़ की आय वाली कदमों की लय-ताल भी लडख़ड़ाई

locationसूरतPublished: Aug 08, 2020 08:43:26 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

महामारी में प्रोफेशनल व सीजनेबल गरबा क्लासेज पड़े हैं बंद, सैकड़ों कॉलेज स्टूडेंट को मिलता था रोजगार

NAVRATRI: 12-15 करोड़ की आय वाली कदमों की लय-ताल भी लडख़ड़ाई

NAVRATRI: 12-15 करोड़ की आय वाली कदमों की लय-ताल भी लडख़ड़ाई

सूरत. कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव से कोई अछूता नहीं है और इस शृंखला में नवरात्रि की गुजरातभर में विशेष तैयारी करवाने वाले गरबा क्लासेज भी शामिल है। अकेले सूरत शहर की बात करें तो कोरोना संकट की वजह से शहर के डेढ़ सौ से ज्यादा गरबा क्लासेज मार्च से ही बंद पड़े हैं जबकि यहीं वक्त होता है जब इन क्लासेज में ताली की आवाज पर कदमों की लय-ताल गरबा नृत्य के रूप में देखने को मिलती है।
गुजरात प्रदेश का लोकपर्व नवरात्रि की रंगत लोकनृत्य गरबा से हर साल कुछ खास ही जमती है लेकिन, इस बार तय है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसकी वजह है कि कोरोना महामारी का तांडव मार्च से ही लगातार जारी है जबकि इसी महीने से नवरात्रि लोकपर्व की तैयारियां गरबा नृत्य की क्लासेज में शुरू हो जाती है जो वक्त बीतने के साथ पूरे परवान पर चढ़ जाती है और जुलाई-अगस्त में तो शाम ढलते ही शहरभर के गरबा क्लासेज में गुजराती लोकगीतों के साथ-साथ हिन्दी रिमिक्स पर तालियां बजाकर झुमते खेलैया नजर आने लगते हैं। उधर, सितम्बर आते-आते नवरात्रि आयोजन की तैयारियां भी शुरू कर दी जाती थी लेकिन, वो भी इस बार कहीं से संभव नजर नहीं आ रही है। इसके चलते गरबा क्लासेज की सीजनेबल आय भी कोरोना की भेंट चढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक क्लासेज की मासिक आय 90 हजार से लाख तक होती है और इस तरह से शहर के डेढ़ सौ क्लासेज की छह-सात माह की 12-15 करोड़ की आय इस बार रुक गई है।
सूरत में गरबा क्लासेज और उनकी स्थिति


लोकपर्व नवरात्रि में लोकनृत्य गरबा सीखने और सिखाने का यूं तो सूरत समेत गुजरातभर में सालभर दौर चलता रहता है लेकिन, फिर भी इसमें छह-सात माह अप्रेल-मई से अक्टूबर तक खास तेजी रहती है। सूरत में सालभर चलने वाले गरबा क्लासेज 30-40 है और छह-सात महीने चलने वाले क्लासेज की संख्या सवा सौ से भी ज्यादा है। इस बार यह सभी क्लासेज कोरोना महामारी की वजह से बदं पड़े हैं। इन क्लासेज में एक से दो घंटे के छह-सात बैच रोजाना चलते थे और प्रत्येक बैच में 40 से 50 स्टूडेंट शामिल होते थे। इस तरह से एक क्लासेज में रोजाना 300 से ज्यादा स्टूडेंट गरबा सीखने आते थे।
महामारी में विकल्प ऑनलाइन


कोरोना से उपजे संकट का असर गरबा क्लासेज पर पूरी तरह से दिखाई दे रहा है और इससे उबरने के लिए सूरत के कुछ गरबा क्लासेज संचालकों ने ऑनलाइन गरबा क्लासेज भी शुरू की। शुरुआती दौर में तो यह ऑनलाइन क्लासेज ठीक-ठाक तरीके से चलते रहे लेकिन, थोड़े ही समय बाद लोगों का इससे मोह भंग होने लगा और नतीजा यह है कि अगस्त में सूरत में कोई भी प्रोफेशनल गरबा क्लासेज ऑनलाइन गरबा क्लासेज नहीं चला रहा है। इसके संचालन में दिक्कत यह आई कि प्रयोग के तौर पर यह ठीक था लेकिन, इससे सीखकर गरबा नृत्य में परफेक्ट बना पाना मुश्किल था।
गरबा क्लासेज के खर्चे हैं एरियावाइज


यूं शहर में प्रोफेशनल गरबा क्लासेज की संख्या सीजनेबल के सामने 25 से 30 फीसद ही है और ज्यादातर प्रोफेशनल क्लासेज शहर के महंगे क्षेत्र में संचालित है जबकि सीजनेबल गरबा क्लासेज शहर के सभी क्षेत्रों में अप्रेल-मई से अक्टूबर तक चलते हैं। ऐसी स्थिति में प्रोफेशलन गरबा क्लासेज के खर्चे सीजनेबल गरबा क्लासेज के समक्ष अधिक होते हैं। उनके क्लासेज का महीने का किराया 50 हजार से एक लाख तक होता है जबकि सीजनेबल क्लासेज का यह खर्च 20 से 30 हजार तक होता है। इसके अलावा बिजली खर्च, मैंटनेंस आदि में भी इसी तरह का फर्क दोनों के बीच रहता है।
रोजगार का है बड़ा साधन


नवरात्र पर्व की तैयारियों में सीजनेबल गरबा क्लासेज कॉलेज स्टूडेंट के लिए रोजगार का बड़ा साधन बनकर सामने आते हैं। ज्यादातर ऐसे क्लासेज कॉलेज स्टूडेंट ही संचालित करते हैं और इसमें ट्रेनर के तौर पर अपने साथियों को ही रखते हैं, जिससे उन्हें इन छह-सात माह में 30-40 हजार रुपए की आय हो जाती है। एक क्लासेज में कम से कम तीन ट्रेनर अलग-अलग समय में रहते हैं। इसके अलावा कई क्लासेज संचालक स्टूडेंट के लिए परंपरागत परिधान व उसके साथ पहने जाने वाले आभुषण भी बेचते व किराए पर देते हैं। वहीं, नवरात्र के दस दिन का ड्रेसकोड भी क्लासेज के स्टूडेंट का होता है जो कि क्लासेज के ही सदस्य को रोजगार देता है।
फिटनेस में अहम


बदलते ट्रेंड में सूरत शहर में बसे उत्तर भारतीय समाज की महिलाओं व युवतियों ने गरबा क्लासेज को फिटनेस क्लासेज के रूप में भी देखना शुरू किया है। यहीं वजह है कि दोपहर तीन से शाम छह बजे तक के क्लासेज में बड़ी संख्या में प्रवासी महिलाएं व युवतियां गरबा सीखती नजर आती थी। गरबा क्लासेज में लगातार लोकगीतों व हिन्दी रिमिक्स गीतों पर 10 स्टेप, 22 स्टेप, 32 स्टेप, 100 स्टेप गरबा नृत्य व डांडिया के दौरान कई फिजिकल एक्सरसाइज होती है और इसकी लगातार प्रेक्टिस किए जाने से शरीर फिट रहता है। इस विचारधारा ने कई युवतियों-महिलाओं को गरबा क्लासेज जाने की प्रेरणा दी है।
यह साल का सीजन गया


कोरोना महामारी की वजह से गरबा क्लासेज का यह साल का सीजन चला गया। शुरुआत में ऑनलाइन गरबा सिखाया था लेकिन, उसमें स्टूडेंट को मजा नहीं आया तो वह भी बंद हो गया। सूरत के सभी क्लासेज हाल में बंद पड़े हैं।
मौलिक उपाध्याय, संचालक, यंग खेलैया गरबा ग्रुप