neet news : MBBS को रोजगार और नौकरी मिलना हो रहा है मुश्किल !
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- पीजी मेडिकल की 182 सीटों के लिए नहीं मिल पा रहे हैं विद्यार्थी, रिक्त सीटों को भरने के लिए आयोजित करना पड़ा ऑफलाइन राउंड
- ऑफलाइन राउंड के बाद भी 116 सीटें रह गई रिक्त, प्रवेश की योग्यता घटाए जाने के बावजूद विद्यार्थी नहीं ले रहे है प्रवेश
- पीजी की कई ब्रांच ऐसी जिसमें योग्य भविष्य नहीं होने पर विद्यार्थी नहीं ले रहे प्रवेश में रुचि
सूरत
Updated: May 10, 2022 08:12:38 pm
सूरत. neet news : राज्य की प्रवेश समिति को अंडर ग्रेजुएट(यूजी) की सीटों के बाद अब पोस्ट ग्रेजुएट(पीजी) MBBS की सीटों को भरने में पसीने छूट गए हैं। पीजी की 182 रिक्त सीटों को भरने के लिए प्रवेश समिति को अब यूजी की तरह ही ऑफलाइन प्रवेश राउंड का सहारा लेना पड़ा। इस राउंड में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों को 8 मई तक प्रवेश समिति की वेबसाइट पर अपनी सहमति देनी थी। ऑफलाइन राउंड के बाद भी पीजी की 116 सीटें रिक्त रह गई है।
इस बार तो MBBS की सीटों को भरना प्रवेश समिति को भारी पड़ गया है। पहले तो यूजी में दिक्कत आ रही थी अब पीजी में भी सीट को भरना दुविधा भरा हो गया। यूजी से पहले पीजी मेडिकल की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी। फिर भी पीजी मेडिकल की 182 सीटें रिक्त रह गई। पीजी मेडिकल के लिए भी प्रवेश के तीन राउंड आयोजित किया गए। लेकिन सारी सीटें नहीं भर पाई। इसलिए प्रवेश समिति ने प्रवेश के ऑफलाइन राउंड का सहारा लेकर रिक्त सीट भरने का तय किया था। किस कॉलेज के किस पीजी मेडिकल ब्रांच में कितनी सीट रिक्त है, उसकी जानकारी वेबसाइट पर जारी कर दी गई थी। जिससे विद्यार्थियों को प्रवेश लेने में परेशानी ना हो। ऑफलाइन राउंड में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी को 8 मई तक वेबसाइट पर अपनी सहमति देनी थी। सहमति देने वाले विद्यार्थी ही ऑफलाइन राउंड में हिस्सा ले सकते थे। इसके बाद पीजी मेडिकल की 10 कॉलेजों में से जिसमें विद्यार्थी का मेरिट के अनुसार नंबर आएगा, उसमे उसे प्रवेश के लिए आग्रह किया जाएगा। यह तय किया गया था। लेकिन ऑफलाइन राउंड के बाद भी 116 सीटें रिक्त रह गई है। अब इन्हें भरना संचालकों के लिए कठिन हो गया है।
- रोजगार और भविष्य नहीं होने पर रुचि नहीं:
मेडिकल पीजी की जो 182 सीटें रिक्त पड़ी थी उसमे ज्यादातर सीटें एनाटोमी, फिजियोलॉजी, बायो - केमेस्ट्री और माइक्रोबैलॉजी की सीटें हैं। इन ब्रांचों में में पीजी की डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थी को अच्छी नौकरी मिलना मुश्किल है। उनकी अच्छी प्रैक्टिस भी मुश्किल है। साथ में सरकारी या निजी मेडिकल शैक्षणिक संस्थाओं में ट्यूटर की भी जॉब नहीं मिल पाती है। इसलिए इन ब्रांच की सीटों में विद्यार्थी पीजी करने में रुचि नहीं लेते हैं।
- योग्यता कम करने पर भी नहीं पड़ा कोई असर:
पीजी मेडिकल की प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के बाद प्रवेश की योग्यता को कम किया गया। इसलिए प्रवेश प्रक्रिया को स्थगित करने के बाद पुनः इसे शुरू किया गया। प्रवेश की योग्यता कम करने का भी असर प्रवेश के दौरान नजर नहीं आया। प्रवेश योग्यता कम करने के बाद भी प्रवेश के तीन राउंड हुए फिर भी पीजी की 182 सीटें रिक्त रह गई थी।
- मुश्किल है रिक्त सीटें भरना:
पीजी की जो सीट रिक्त रह गई है उसे भरना मुश्किल है। यह ऐसी ब्रांचों की सीट खाली है जिसमें विद्यार्थियों को भविष्य बनाने में काफी दुविधा होती है। रोजगार के अवसर कम होते है। सरकारी और निजी संस्थानों में भी काम मिलना मुश्किल होता है। इसलिए इन सीटों पर मुश्किल से विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं।
- डॉ.महेंद्र चौहान, पूर्व सदस्य, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया
- दोबार नीट देना करते है पसंद:
डॉ.चौहान का कहना है कि एनाटोमी, फिजियोलॉजी, बायो - केमेस्ट्री और माइक्रोबैलॉजी की पीजी सीटों पर प्रवेश लेने की जगह कई विद्यार्थी दूसरी बार पीजी नीट देना पसंद करते हैं। जिससे दूसरी बार की पीजी नीट में ऊंचे नंबर लेकर मनपसंद पीजी मेडिकल की ब्रांच में प्रवेश हासिल कर सके।
- यूजी डेंटल की 243 सीट अभी भी है खाली:
राज्य के यूजी डेंटल में कुल 1255 सीटें हैं। प्रवेश के तीन ऑनलाइन और एक ऑफलाइन राउंड आयोजित करने के बाद भी डेंटल की 243 सीटें रिक्त रह गई है। डेंटल में सीटें रिक्त रह जाने से एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है कि क्या मेडिकल क्षेत्र में विद्यार्थियों को डेंटल में रुचि नहीं रही है। क्योंकि पिछले साल डेंटल में 445 सीटें रिक्त रह गई थी। अब इन रिक्त सीटों को भरने का जिम्मा प्रवेश समिति ने कॉलेजों को सौंप दिया है।

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