सूरत

भव्य शोभायात्रा निकालकर बप्पा को भेजा निजधाम

सातवें दिन के गणपति का विसर्जन

सूरतSep 19, 2018 / 08:53 pm

Sunil Mishra

भव्य शोभायात्रा निकालकर बप्पा को भेजा निजधाम



वापी/सिलवासा. संघ प्रदेश और दक्षिण गुजरात में गणपति महोत्सव चरम पर है। पंडालों में पूजा अर्चना के दौर चालू हैं, वहीं बुधवार को सातवें दिन के गणपति को विदाई भी दी गई है।
वापी में गणपति महोत्सव के पांचवें दिन भक्तों ने गणेशजी को भावभीनी विदाई दी। डीजे और ढोल नगाड़े के साथ भव्य यात्रा निकालकर भक्त उन्हें नदी तटों पर ले गए। जहां पूजा पाठ कर उन्हें विधि विधान से उनके धाम भेजा गया। शोभायात्रा में बीच-बीच में श्रद्धालुओं ने गरबा भी खेला और गणपति बप्पा की जय-जयकार की। देर शाम तक दमणगंगा और कोलक नदी में चार सौ से ज्यादा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा चुका और बड़ी संख्या में प्रतिमाएं विसर्जन के लिए कतार में थी। पुलिस की ओर से विसर्जन यात्रा से लेकर नदी तट तक सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। देर रात तक गणपति विसर्जन का दौर जारी रहा।
 

सिलवासा में भी गणपति को भावभीनी विदाई
सिलवासा शहर में बुधवार को गणपति महोत्सव के सातवें दिन गौरी गणेश की सैकड़ों प्रतिमाओं को भावभीनी विदाई दी गई। अथाल दमणगंगा घाट पर विसर्जन के लिए दोपहर होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। शहर के बाविसा फलिया, पिपरिया घाट पर श्रद्धालुओं ने विघ्न विनाशक को विदाई दी। अथाल घाट पर विसर्जन के लिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व प्रबंधन की व्यवस्था की। मूर्ति विसर्जन के लिए फायर ब्रिगेड के जवान भी मौके पर तैनात रहे। शहर के विभिन्न इलाकों से गाजे-बाजे के साथ बप्पा की 100 से अधिक सवारियां निकली।
 

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भजन संध्या आज
वापी. श्री खाटू श्याम प्रचार मंडल द्वारा एकादशी के उपलक्ष में गुरुवार को रामदेव मंदिर में भजन संध्या का आयोजन किया गया है। जयपुर के करणसर स्थित निर्भय आश्रम के संत प्रह्लाद नारायण भी इस अवसर पर उपस्थित रहकर भक्तों को प्रवचन का लाभ देंगे। रात सवा आठ बजे से भजन कार्यक्रम आरंभ होगा और इस अवसर पर महाप्रसाद का भी आयोजन किया गया है।
लोकदेवता तेजाजी को मनाया
सिलवासा. राजस्थान प्रवासियों ने बुधवार को लोकदेवता वीर तेजाजी का पूजन किया। तेजाजी की प्रतिमा पर गुलाब की माला पहनाकर घर के सदस्यों ने भोग लगाया एवं मन्नत मांगी। पूजा के दौरान तेजाजी के आत्म बलिदान की कथा पढ़ी गई। किसान खेती की खुशहाली के लिए तेजाजी को पूजते हैं। तेजाजी की आस्था में कई घरों में तेजाजी-पेमल की कथा पढ़ी जाती है। तेजाजी महाराज महान् वीर व अपने दिए गए वचन पर अटल थे। उन्होंने समाज सेवा एवं गोरक्षा के लिए संपूर्ण जीवन दांव पर लगा दिया। उनकी स्मृति में दशमी को राजस्थान, गुजरात एवं मध्यप्रदेश में धूमधाम से पूजा होती है। इस दिन तेजाजी शहीद हुए थे। उनकी शहादत पर पवित्र प्रसाद, दाल, बाटी, चूरमा का भोग लगाया जाता है। श्रद्धालु सर्परक्षा के लिए हाथ पर तांती बांधते हैं। महिलाओं ने घर को साफ सुथरा करके उनकी प्रतिमा पर गुलाब के फूलों की माला चढ़ाई। पूजा करके तेजाजी को शीश नवाया।

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