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टिकटों के लिए कोई दिल्ली तो कोई गांधीनगर

locationसूरतPublished: Nov 15, 2017 06:02:53 am

पहले चरण के लिए मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कांग्रेस में टिकट को लेकर दावेदारों की अपने आकाओं तक दौड़ शुरू हो गई है। कोई गांधीनगर

No Delhi for tickets, no Gandhinagar

No Delhi for tickets, no Gandhinagar

सूरत।पहले चरण के लिए मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कांग्रेस में टिकट को लेकर दावेदारों की अपने आकाओं तक दौड़ शुरू हो गई है। कोई गांधीनगर का रुख कर रहा है तो कोई दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा रहा है।

सूरत की १२ विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया भले शुरू हो गई हो, लेकिन दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है। नामों के ऐलान में जितनी देरी हो रही है, दावेदारों की बेचैनी भी उसी हिसाब से बढ़ रही है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति ने शहर से अपने लिए चार सीटों की मांग कर कई दावेदारों का गणित उलझा दिया है। यह वही चार सीटें हैं, जहां कांग्रेस खुद को सुरक्षित मान रही थी। इन सीटों पर हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है, लेकिन आगामी दिनों में इन पर कोई न कोई फैसला होना ही है।

प्रत्याशियों की सूची का ऐलान हो, इससे पहले दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं की परिक्रमा शुरू कर दी है। टिकट के लिए गांधीनगर में प्रदेश प्रमुख भरतसिंह सोलंकी के पास जिसकी बात नहीं बन रही है, वह दिल्ली में सोनिया गांधी और अहमद पटेल के पास जा रहे हैं। दक्षिण गुजरात के लगभग सभी नेता-कार्यकर्ता खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का खास बता कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


हार्दिक के ऐलान ने बढ़ाई मुश्किल

आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस के फार्मूले पर सहमति के संकेत दिए हैं। इसके बाद सूरत में पास का चार सीटों पर दावा और मजबूत हुआ है। समिति ने पिछले दिनों विधानसभा चुनाव लडऩे की बात कहते हुए चार सीटों वराछा, कतारगाम, करंज और कामरेज पर अपनी दावेदारी ठोकी थी। समिति का मानना है कि पाटीदारों से मिले समर्थन ने प्रदेश में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया।


इसका असर स्थानीय निकाय चुनावों में देखने को मिला था। ऐसे में कांग्रे्रस को पास के लिए कम से कम चार सीटों पर अपना दावा छोडऩा चाहिए। आलाकमान जानता है कि समिति के साथ समझौते में कांग्रेस यदि इन चार सीटों पर दावेदारी छोड़ती है तो कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा। इस बार टिकट को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में पहले से ही सिर-फुटौवल की हालत है।

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