शनिवार सुबह खुद चीफ फायर ऑफिसर बसंत पारिख, मनपा के डिप्टी कमिश्नर और बिजली कंपनी के अधिकारी मैदान में उतरे। अलग-अलग टीम बनाकर शहर की कोविड-नोन कोविड़ अस्पतालों में जांच अभियान चलाया। टीम ने अस्पतालों में मौजूद आग से बचने के लिए लगाए गए दमकल उपकरणों की जांच की और वह कार्यरत है या नहीं इसका पता लगाया।इसके अलावा इमरजेंसी एग्जिट गेट और एलिवेशन को लेकर भी जांच की। जहां पर भी क्षतियां नजर आई उन अस्पतालों को नोटिस थमाया गया और पन्द्रह दिन के अंदर क्षतियां दूर करने के लिए कहा गया। दो दिनों से जारी जांच में दमकल टीमों ने अस्पतालों से फायर एनओसी भी मांग की, जिसमें सिर्फ 111 अस्पतालों के पास भी एनओसी थी, जबिक अन्य 800 जितनी अस्पतालों के पास एनओसी नहीं होने से उन्हें भी नोटिस थमाया गया है।
कोरोना महामारी को लेकर सूरत महानगरपालिका ने शहर की विभिन्न 19 अस्पतालों के साथ करार किया है और यह 19 अस्पतालें भी कोविड़ अस्पतालों के तौर पर पहचानी जाती है। राजकोट की घटना के बाद मनपा अधिकारी और दमकल की टीम ने इन कोविड अस्पतालों में भी शनिवार को जांच की