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CSR SCAM : मास्टरमाइंड और कलक्टर की बेटी के बीच साझेदारी !

locationसूरतPublished: Jul 03, 2018 11:26:34 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Kasera

अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष के वकील ने किया खुलासा, आरोपी भावेश्री को और चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा, मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे होना बाकी….

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CSR SCAM : मास्टरमाइंड अंकित और कलक्टर की बेटी के बीच है साझेदारी

नवसारी. डांग जिले के आदिवासी किसानों के लिए सीएसआर फंड से करोड़ों रुपए खर्च करने का जिला प्रशासन को लालच देकर किसानों से धोखाधड़ी करने वाले प्रकरण में सोमवार को एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डांग कोर्ट में आरोपी भावेश्री के वकील ने न्यायाधीश के समक्ष यह खुलासा किया कि प्रकरण के मास्टरमाइंड अंकित मेहता और जिला कलक्टर की पुत्री कामकाज में साझेदार हैं। हालांकि बचाव पक्ष की यह दलील आरोपी भावेश्री दावड़ा के किसी काम नहीं आई और कोर्ट ने उसे फिर चार दिन के पुलिस रिमांड पर सौंप दिया। प्रकरण में नया मोड़ आने के बाद यह साफ होने लगा है कि इस पूरे गड़बड़झाले में कई राज छिपे हैं, जिसके सामने आने के बाद ही सच से पर्दा उठेगा।
गौरतलब है कि दुबई की यूनिवर्सल रोबो इनोवेशन नाम की फर्जी कंपनी के प्रतिनिधि अंकित एस. महेता और भावेश्री अरविंद दावड़ा ने डांग जिला कलक्टर बीके कुमार व खेतीबाड़ी अधिकारी का भरोसा जीतने के बाद डांग कृषि ही विकास सेल का गठन किया था। इस संयुक्त संस्था की आड़ में ही कंपनी के सीएसआर फंड से 25 करोड़ रुपए खर्च करने विभिन्न योजनाएं बनाई गई थीं, पर एक साल बीतने के बाद भी किसानों के हित में कोई काम नहीं हुआ। फिर फर्जीवाड़े की पोल खुली तो आहवा थाने में मामला दर्ज हुआ। इसके बाद पुलिस ने संस्था की संचालिका भावेश्री को गिरफ्तार किया। वहीं मुख्य आरोपी अंकित मेहता और सह आरोपी कृणाल सोलंकी अब तक फरार है।
रिमांड के दौरान बिगड़ी तबीयत


गिरफ्तारी के बाद आरोपी भावेश्री को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया था। इस दौरान 30 जून की दोपहर उसकी तबीयत बिगडऩे पर आहवा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उपचार के बाद रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने उसको सुबीर कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने बताया कि भावेश्री जांच में सहयोग नहीं कर रही है। मामले में कई गंभीर सवालों के जवाब बाकी है, ऐसे में कोर्ट से 10 दिन के रिमांड की अपील की।

बचाव पक्ष की दलील, सबको बनाएं आरोपी


सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने विरोध किया और डांग जिला कलक्टर समेत नौ अधिकारियों को भी आरोपी बताया। इनमें जिला कलक्टर, जिला विकास अधिकारी, खेतीबाड़ी अधिकारी, पशुपालन अधिकारी, उप बागायत नियामक, उप कृषि नियामक सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं। वकील ने कोर्ट में जिला कलक्टर, खेडूत तालीम केंद्र में दिए कमरे सहित कई दस्तावेज पेश किए। इसका पुलिस ने विरोध किया तो कोर्ट के समक्ष वह साझेदारी करार पेश कर दिया कम्पनी के प्रबंध निदेशक और मुम्बई निवासी अंकित एस. मेहता और कलक्टर की पुत्री व सूरत निवासी अवनी एस. मवेची के नाम था। इसे देखकर सब चौंक उठे।
उप मुख्यमंत्री के नाम से करवाया फोन


कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारी ने आरोपियों के खिलाफ कई ठोस प्रमाण रखे। इनमें एक दलील सबको चौंकाने वाली थी। अधिकारी ने बताया कि प्रकरण के मास्टरमाइंड अंकित और भावेश्री ने जिला ग्राम विकास एजेंसी के एक अधिकारी को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के नाम से फोन करवाया। फोन के जरिए आरोपी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण का काम उनकी संस्था को देने का दबाव बनाया गया। ऐसे में वह फोन कहां से आया और किसने किया इसकी पूछताछ रिमांड के दौरान की जाएगी। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका मामले में पहले ही खुलासा कर चुका कि प्रकरण के आरोपी पीएमओ, सीएमओ, सीबीआइ जैसी बड़ी सरकारी संस्थाओं के लोगों के नाम मोबाइल के जरिए दर्शाते थे। इन नामों का इस्तेमाल वे सरकारी लोगों के बीच रसूखात दिखाने के लिए करते थे।
शीर्ष अधिकारी ने कलक्टर पर दबाव क्यों डाला


आरोपी के वकील और भावेश्री ने कोर्ट में पत्र देकर बताया कि गृह मंत्रालय के मुख्य अधिकारी महावीर सिंह ने डांग में उनकी संस्था के काम को बंद करवाने के लिए डांग जिला कलक्टर पर लगातार दबाव बनाया। तीन से चार बार फोन किया। इसे कोर्ट में गंभीरता से लेते हुए जांचकर्ता अधिकारियों से सवाल किया। इस पर उन्होंने बताया कि खेतीबाड़ी अधिकारी और उप कृषि नियामक ने संस्था की कारगुजारियों की शिकायत गृह मंत्रालय को भी की थी। इस पर तत्परता दिखाते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने संस्था के खिलाफ कार्रवाई के लिए कलक्टर को निर्देश दिए थे।
भावेश्री को शुगर, समय पर नहीं मिला खाना


पेशी के दौरान आरोपी भावेश्री के वकील ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। कोर्ट को बताया कि रिमांड के दौरान भावेश्री को काफी यातनाएं दी गईं। वह मधुमेह (शुगर) रोगी है, इसकी जानकारी पुलिस को देने के बावजूद उन्होंने उसे समय पर खाना नहीं दिया। जो भोजन दिया गया, वह शुगर बढ़ाने वाला था। पुलिस ने बताया कि हर समय एक महिला कांस्टेबल उसके साथ रहती है और नियमानुसार उसका पूरा ध्यान रखा गया।
भावेश्री को जान का खतरा- हंसा दावड़ा


कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस ने बताया कि आरोपी भावेश्री ने हिरासत के दौरान फिनाइल पी लिया, इससे उसकी तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस पर वहां मौजूद भावेश्री की मां हंसा दावेड़ा ने कहा कि उसकी बेटी को पुलिस कस्टडी में जान का खतरा है। जब में भावेश्री को कपड़े देने गई तो पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर धागा तक निकलवा दिया। फिर उनके बाथरूम में फिनाइल और एसिड जैसी खतरनाक चीजें कैसे रख सकते हैं? मामले में जिला कलक्टर की पुत्री का नाम भी शामिल है फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही। वहीं, मेरी बेटी को फंसाया जा रहा है, क्योंकि मामले में बड़े लोगो के नाम हैं।

– हंसा दावड़ा, आरोपी भावेश्री की माता

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