महंगाई की मार से स्वाद फीका
वापी कुंभारवाड निवासी अनिल भाई ने बताया कि सिमटती आय से पहले ही परेशान थे और अब महंगाई की मार ने सब्जियों का स्वाद फीका कर दिया है। पहले तो चटनी रोटी खाकर दिन बिताने को लेकर लोग ताना कसते थे, लेकिन अब तो हरी मिर्च से लेकर टमाटर के दाम बढने से चटनी खाना भी मुश्किल हो रहा है। अब तो आलू भी 40 रुपए पहुंचकर हरी सब्जियों के दाम से होड़ ले रहा है।
बजट गड़बड़ हुआ
छीरी निवासी ऊषा देवी ने बताया कि आसमान छूते सब्जियों के दाम ने गहिणियों के बजट को ध्वस्त कर दिया है। कई बार तो बाजार में पहुंचने पर सब्जियों के दाम सुनने के बाद बिना खरीदे ही लौटने का मन करता है। उन्होंने बरसात और गर्मी के दौरान हर साल सब्जियां महंगी करने का आरोप व्यापारियों पर लगाया।
छीरी निवासी ऊषा देवी ने बताया कि आसमान छूते सब्जियों के दाम ने गहिणियों के बजट को ध्वस्त कर दिया है। कई बार तो बाजार में पहुंचने पर सब्जियों के दाम सुनने के बाद बिना खरीदे ही लौटने का मन करता है। उन्होंने बरसात और गर्मी के दौरान हर साल सब्जियां महंगी करने का आरोप व्यापारियों पर लगाया।
बरसात है वजह
गुंजन में सब्जी विके्रता रामनिहोर ने बताया कि वापी में चिखली, धरमपुर के अलावा नासिक से सब्जियां आती हैं। सभी जगहों पर पिछले दिनों बरसात ज्यादा हुई थी और सब्जियों को काफी नुकसान हुआ था। इसका असर दामों पर पड़ा है और आगामी कई दिनों तक दाम बढ़ेंगे। रामनिहोर के अनुसार दाम ज्यादा होने से उन्हें भी नुकसान हो रहा है। क्योंकि कीमत ज्यादा होने पर ग्राहक भी सब्जियों की खरीदने की मात्रा कम कर चुके हैं।
गुंजन में सब्जी विके्रता रामनिहोर ने बताया कि वापी में चिखली, धरमपुर के अलावा नासिक से सब्जियां आती हैं। सभी जगहों पर पिछले दिनों बरसात ज्यादा हुई थी और सब्जियों को काफी नुकसान हुआ था। इसका असर दामों पर पड़ा है और आगामी कई दिनों तक दाम बढ़ेंगे। रामनिहोर के अनुसार दाम ज्यादा होने से उन्हें भी नुकसान हो रहा है। क्योंकि कीमत ज्यादा होने पर ग्राहक भी सब्जियों की खरीदने की मात्रा कम कर चुके हैं।