बड़े फैसलों ने दिए बड़े झटके
मौजूदा सरकार के कार्यकाल में नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े फैसले लागू होने के बाद गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत का कारोबार गहरे सदमे में आ गया। खासकर टैक्सटाइल उद्योग की तो कमर ही टूट गई। लाखों छोटे कारोबारियों का काम-धंधा बंद हो गया तो हजारों की नौकरियां चली गईं। बीते तीन वर्ष में आर्थिक बदलाव की चपेट में आए यहां के कारोबार को अब तक ऑक्सीजन नहीं मिल पाई है। ऐसे में दक्षिण गुजरात के मतदाताओं के दिल में दबा यह मसला कितना असर दिखाएगा, इसका पता 23 मई को चल ही जाएगा।
किसको मिलेगा मौका, किसका कटेगा पत्ता?
चुनावी चौसर बिछने के बाद सबसे ज्यादा नजर उन उम्मीदवारों पर रहेगी, जो भाजपा, कांग्रेस या अन्य दलों की जीत की नैया को पार लगाएंगे। बारडोली और वलसाड को छोड़ दें तो बाकी के पांचों मौजूदा सांसद दो या इससे ज्यादा बार जीतकर आए हैं। भरुच सांसद मनसुख वसावा तो 1998 के बाद से पांच बार जीत कर आए हैं। वहीं 2009 में परिसीमन के बाद बनी नवसारी सीट पर हुए दो चुनाव में सी.आर. पाटिल ने बाजी मारी। सूरत से अलग होकर बनी बारडोली सीट पर 2009 में कांग्रेस के तुषार चौधरी जीते तो 2014 में प्रभुभाई वसावा ने मोदी लहर में भाजपा को सीट दिलाई। इधर, सूरत की बात करें तो दर्शना जरदोष पर भाजपा ने लगातार दो बार भरोसा जताया और दोनों बार उन्होंने पार्टी का परमच फहराया। हालांकि 1989 के बाद से कांग्रेस कभी इस सीट को नहीं जीत पाई। काशीराम राणा यहां से छह बार सांसद चुने गए थे। इसी तरह वलसाड सीट पर भी भाजपा ने मोदी लहर में कब्जा जमाया और डॉ. के.सी. पटेल ने कांग्रेस से दो बार सांसद रहे किशनभाई पटेल को हराया। इस बार सभी संसदीय क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दों के साथ कई बड़े मुद्दे असर दिखाएंगे। ऐसे में किस मौजूदा सांसद पर पार्टी भरोसा जताएगी, यह भी देखने की बात होगी।
क्र.सं लोकसभा सीट विजयी उम्मीदवार पार्टी कितनी बार रहे सांसद
1. सूरत दर्शना जरदोष भाजपा दो बार (2014, 2009)
2. बारडोली प्रभुभाई वसावा भाजपा एक बार (2014)
3. नवसारी सी.आर. पाटिल भाजपा दो बार (2014, 2009)
4. भरुच मनसुखभाई वसावा भाजपा पांच बार (1998 से 2014)
5. वलसाड डॉ. के.सी. पटेल भाजपा एक बार (2014)
6. दमन-दीव लालूभाई पटेल भाजपा दो बार (2014, 2009)
7. दानह नटू भाई पटेल भाजपा दो बार (2014, 2009)
पांच साल में जो कार्य किए, उनको लेकर जनता के बीच जाएंगे। सूरत में एयर कनेक्टिविटी, तापी शुद्धिकरण के साथ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए धनराशि की मंजूरी, इनकम टेक्स ट्रिब्यूनल की व्यवस्था समेत कई विकास कार्य हुए।
– सी.आर. पाटिल, सांसद, नवसारी सरकार ने बहाई विकास की गंगा
मोदी सरकार के कार्यकाल में सूरत के साथ पूरे देश में विकास की गंगा बही है। आमजन के हितों के लिए हमने भरपूर काम किए हैं। चुनाव की घोषणा से पहले लोगों तक इनको पहुंचाया भी है। अब और तेजी से आगे बढ़ेंगे।
– दर्शना जरदोष, सांसद, सूरत सरकार की विफलताओं को गिनाएंगे
जिन वादों पर 2014 में भाजपा सरकार बनी थी, उनमें कोई वादा पूरा नहीं हुआ। अच्छे दिनों के आने का इंतजार ही करते रहे। आदिवासी क्षेत्रों का भला हुआ, न किसानों का। कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी।
– डॉ. तुषार चौधरी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, कांग्रेस सरकार ने सूरत को छला
डायमंड और टैक्सटाइल हब सूरत को केन्द्र सरकार के जीएसटी और नोटबंदी जैसे थोपे गए आदेशों ने बर्बाद कर दिया। दोनों उद्योगों को राहत देने में सरकार विफल रही। ऐसे कई मुद्दे भाजपा को भारी पड़ेंगे।
– बाबू रायका, प्रमुख, शहर कांग्रेस
युवा बोले- सोच-समझ कर देंगे पहला वोट युवाओं के हित की बने सरकार
युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जाते। मेरी चुनी गई सरकार समाज के इन दोनों वर्ग को सशक्त बनाने का काम करे। उनको रोजगार मिले, ऐसी पुख्ता व्यवस्था हो।
– दिव्या राजेन्द्र त्रिवेदी, छात्रा मेरा वोट विकास के मुद्दे पर
विकास को ध्यान में रखते हुए अपना पहला वोट 2019 लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल करूंगा। भारत तेजी से आगे बढऩे वाला देश है और दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं। जो देशहित की बात करेगा, वही आगे बढ़ेगा।
– आयुष आलोक मिश्रा, छात्र