शहर कोई मंदिर हो या मस्जिद, चर्च हो या गुरुद्वारा सभी जगह पर भिक्षुक नजर आए बिना नहीं रहते। ऐसे में यह स्थानीय प्रशासन के साथ सरकार के लिए भी शर्मसार करने वाली बात है। हाल ही में नियुक्त हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस पर चिंता जताने के साथ गुजरात के शहरों को भिक्षुक मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही और सूरत मनपा प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए सूरत को भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की कवायद शुरू कर दी है। मनपा ने पुलिस और समाज सुरक्षा विभाग के साथ मिलकर धार्मिक स्थलों पर भीख मांगने भिक्षुओं का रेस्क्यू कर उन्हें शेल्टर होम में भेजने का अभियान शुरू किया है।
– चार दिन में 8 टीमों में 500 से अधिक भिक्षुओं का रेस्क्यू किया मनपा के यूसीडी विभाग के मुताबिक धार्मिक स्थलों पर भीख मांगने वाले लोगों को पकड़ने के लिए अलग अलग आठ टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों ने चार दिनों में 500 से अधिक भिक्षुओं का रेस्क्यू कर उन्हें मनपा के शेल्टर होम में भेज दिया है। इस दौरान अकेले सेंट्रल जोन में ही 67 धार्मिक स्थलों पर मनपा ने कार्रवाई की। वहीं, पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी की जा रही है।
सुविधाओं के साथ रोजगार का प्रशिक्षण शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए इस बार मनपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसलिए मनपा भिक्षुओं को शेल्टर होम में जरूरी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध तो करवाएगी साथ ही ऐसे लोग दोबारा भीख मांगने नहीं लग जाए इसलिए उन्हें रोजगार का प्रशिक्षण भी देगी। इसके लिए भीख मांगने से पहले वह कोई काम करते थे क्या या उन्हें किस काम में रुचि है इसकी जानकारी भी इकठ्ठी की जा रही है।
शेल्टर होम पहुंची पत्रिका की टीम मनपा ने शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए अभियान छेड़ने का दावा तो किया है, लेकिन भिक्षुओं को जहां रखा जा रहा है उन शेल्टर होम के हालात क्या हैं यह जानने के लिए पत्रिका की टीम शेल्टर होम पहुंची। रेस्क्यू कर लाए गए भिक्षुओं से भी बातचीत की। वराछा बॉम्बे मार्केट के पास स्थित शेल्टर होम में खाने से लेकर नहाने – धोने समेत सभी तरह की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध थी। कमरों से लेकर पूरा परिसर साफ सुथरा था। लंबे हनुमान मंदिर से लाए गए भिक्षुक ने बताया कि वह टाइल्स घिसाई का काम करता था, लेकिन पैर में चोट लगने के बाद वह यह काम नहीं कर पाता, इसलिए गुजरे के लिए भीख मांगना शुरू किया था। शेल्टर होम सभी सुविधाएं मिल रही है और अब वह कोई ना कोई काम सीखकर फिर से अपने पैरो पर खड़ा होगा। सूरत रेलवे स्टेशन से लाए गए भिक्षुक ने बताया कि भीख मांगना उसकी मजबूरी थी, लेकिन यहां पर खाने – पीने से लेकर सोने तक की सुविधाएं मिल रही है, अब वह भी कोई काम सीखकर मेहनत की कमाई से अपना गुजारा चलाने के काबिल बनेगा।