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नई दिल्ली में वेंटिलेटर और बेड नहीं मिलने पर वृद्ध ने सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में कोरोना को हराया

locationसूरतPublished: May 08, 2021 10:45:19 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

– निजी एम्बुलेंस में नई दिल्ली से सूरत आने के दौरान मरीज ने लंबी जिंदगी की आशा छोड़ दी थी…
– 14 दिन के इलाज में 10 दिन बाइपेप-वेंटिलेटर पर भर्ती रहे, छुट्टी मिलने पर खुशी से आंखे भर आई

नई दिल्ली में वेंटिलेटर और बेड नहीं मिलने पर वृद्ध ने सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में कोरोना को हराया

नई दिल्ली में वेंटिलेटर और बेड नहीं मिलने पर वृद्ध ने सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में कोरोना को हराया

सूरत.

हरियाणा के गुडग़ांव निवासी वृद्ध को कोरोना के इलाज के लिए नई दिल्ली में किसी अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं मिला। इसके बाद वह सूरत न्यू सिविल अस्पताल में भर्ती हुए और 14 दिन में कोरोना को हरा दिया है। वृद्ध ने बताया कि नई दिल्ली से सूरत आते समय उन्होंने लंबा जीने की आशा छोड़ दी थी। न्यू सिविल के चिकित्सकों ने कुछ दिनों के इलाज में ही उनकी उम्मीद को फिर से जगा दिया और 10 दिन बाइपेप-वेंटिलेटर पर रहने के बाद उनकी तबीयत में सुधार आने लगा। सूरत ने देश की अतिथि देवों भव की परंपरा निभाई और उनको नया जीवन दिया है।
शहर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई संक्रमित मरीजों को न्यू सिविल और स्मीमेर अस्पताल के चिकित्सकों ने स्वस्थ किया है। सूरत में अच्छे इलाज की सुविधा के चलते अप्रेल में दक्षिण गुजरात के दूसरे जिलों तथा सौराष्ट्र, अमरेली और दूसरे राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आए थे। हरियाणा के गुडग़ांव (गुरुग्राम) सेक्टर 51 निवासी शमशेर सिंह अहलावत भी उनमें से एक है। सिविल अस्पताल में 14 दिन के इलाज के बाद उन्होंने कोरोना को हरा दिया है। शमशेर ने बताया कि उन्हें सात दिन से डायबिटिज की बीमारी है।
कोरोना संक्रमण बढऩे पर उन्होंने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था। लेकिन इसी दौरान उनकी तबीयत खराब हुई और श्वास लेने में दिक्कत होने लगी। निजी अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाया जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इलाज के लिए नई दिल्ली नजदीक होने के कारण सबसे पहले वहीं पहुंचे। उन्होंने सभी अस्पतालों के चेक किया लेकिन कोई बेड और वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिली। उनका ऑक्सीजन लेवल 78-80 आ गया था।
पौत्रवधु समेत परिवार उनको प्राइवेट एम्बुलेंस में सूरत लेकर आए और 21 अप्रेल को न्यू सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया।
डॉ. मानसी वडगामा ने सिविल में वेंटिलेटर का बेड उपलब्ध होना बताया था। उन्हें बाइपेप-वेंटिलेटर पर भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। 10 दिन बाद 2 मई को उन्हें बाइपेप से हटाकर दूसरे कमरे में भर्ती किया गया। शमशेर ने बताया कि दिल्ली से सूरत आने के समय मुझे लगा कि अब मेरी जिंदगी ज्यादा लंबी नहीं है।
सिविल के चिकित्सकों की मेहनत के कारण मुझे फिर से नया जीवन मिला है। न्यू सिविल अस्पताल के मेडिसिन विभाग और दक्षिण गुजरात कोरोना नोडल ऑफिसर डॉ. अश्विन वसावा, डॉ. मानसी वडगामा, डॉ. रॉबिन पटेल, डॉ. जिग्नेश गेंगडिया, डॉ. सुमेर रामावत के इलाज से शमशेर सिंह कोरोना मुक्त हुए है। उन्होंने घर जाने से पहले चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ का आभार व्यक्त किया।
82 वर्षीय दादी ने दो माह में दो बार कोरोना को हराया

वराछा निवासी 82 वर्षीय दादी ने दो माह में दो बार कोरोना संक्रमित होने के बाद शारीरिक तंदुरुस्ती और दृढ़ आत्मविश्वास से 18 दिन में कोरोना को हरा दिया है। वराछा शिवधारा सोसायटी निवासी राधा गगजी भिकडिया को 24 अप्रेल को बुखार, सर्दी-खांसी और कमजोरी की तकलीफ हुई थी। पौत्र निलेश और राहुल उनको निजी अस्पताल लेकर गए। सीटी स्कैन रिपोर्ट होने पर कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उनके फेफड़े में 15 प्रतिशत संक्रमण था।

राधाबेन ने घर पर ही होम आइसोलेशन में इलाज का निर्णय किया। ऑक्सीजन सप्लाई के साथ पौष्टिक आहार और दवाओं से 18 दिन में राधा स्वस्थ हो गई। उनकी गुरुवार को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। राधा के परिवार में 16 व्यक्ति का संयुक्त परिवार है। परिजनों ने कहा कि दादी के नियमित पैदल चलने और पौष्टिक आहार लेने के कारण उनकी तबीयत में जल्दी सुधार आया। दो माह में राधा ने दो बार कोरोना को हराया है।
85 वर्षीय वृद्धा का सफल हीप रिप्लेसमेंट

सूरत. स्मीमेर अस्पताल के चिकित्सकों ने ओलपाड करशनपरा गाम निवासी धनलक्ष्मी चौहाण (85) के थापे के गोला का निशुल्क सफल ऑपरेशन किया है। घर में गिरने के कारण परिजन उनको स्मीमेर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में लेकर आए थे। हड्डी विभाग के चिकित्सकों ने उनको भर्ती किया और थापा के गोले का ऑपरेशन करने का तय किया। हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जनक राठौड़, डॉ. पार्थ किनखाबवाला, डॉ. विराज बेंकर, डॉ. मल्हार डामोर ने धनलक्ष्मी के बाए पैर के थापे के गोले का सफल ऑपरेशन किया। डॉ. पार्थ ने बताया कि दादी की उम्र अधिक होने के साथ-साथ ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन की बीमारी थी। एनस्थीसिया विभाग ने दो दिन तक उन्हें स्टेबिलाइज किया था। यह ऑपरेशन 35-40 मिनट तक चला। दूसरे दिन ही दादी पैरों पर चलने लगी थी।

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