अधिवक्ता डॉ.लाहोटी ने बताया कि कपड़े पर अब तक विश्व में कही पर भी संपत्ति दस्तावेज नहीं बनाया गया था, ऐसे में उनके लिए यह कार्य मुश्किल भरा जरूर था।
कानूनी तौर पर इसे प्रमाणित करने के लिए प्रशासन से मंजूरी लेना अनिवार्य था।
जिला कलक्टर के समक्ष प्रस्ताव रखने के बाद कलक्टर से लेकर सब रजिस्टार कार्यालय से इसके लिए मंजूरी मिल गई।
करीब तीन से चार महीने वक्त कानूनी प्रक्रिया के लिए लगा और दस्तावेज तैयार किया गया।
इससे पहले 2010 में संस्कृत में भारत का पहला दस्तावेज बना चुके है। इसके अलावा वर्ष 2016 में ताड़पत्र खुदाई से दस्तावेज बनाया था।