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ढोले नगाड़ों के साथ निकली पादुका यात्रा

locationसूरतPublished: Nov 12, 2019 10:20:47 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

पादुका पूजन कार्यक्रम में बोले जगद्गुरु नरेन्द्र महाराजसद्गुरु की शरण से सच्चा मार्ग संभव
Jagadguru Narendra Maharaj said in Paduka worship program
True path possible through the shelter of Sadhguru

ढोले नगाड़ों के साथ निकली पादुका यात्रा

ढोले नगाड़ों के साथ निकली पादुका यात्रा

सिलवासा. आमली गायत्री मंदिर ग्राउंड पर आयोजित पादुका पूजन कार्यक्रम में जगद्गुरु नरेन्द्र महाराज ने कहा कि कठिन मेहनत और दिनभर दौड़भाग के बाद मनुष्य को मानसिक शांति प्राप्त नहीं है। दिल अशांत रहने से मनुष्य अच्छे-बुरे कर्मो की पहचान नहीं कर पाता, जिससे सुख की बजाए परेशानियां बढ़ जाती हैं। सद्गुरु की शरण से सच्चा मार्ग संभव है। धर्म, नीति और सच्चे मार्ग का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को दुख, अशांति छू तक नहीं सकती है। करीब दो घंटे चलेकार्यक्रम में नरेन्द्र महाराज ने सद्मार्ग के अनेक पहलू बताए।
इससे पहले उनके शिष्यों ने तिरुपति बालाजी मंदिर से सभा स्थल तक हिन्दू निशान के साथ ढोल-नगाड़े, घंटा-घडिय़ाल, मजीरा, शंख आदि बजाते हुए मंगलध्वनि के बीच पादुका यात्रा निकाली। यात्रा के दौरान शिष्यों ने जमकर जयकारे लगाए। सभा स्थल पर पहुंचते ही जुलूस में लोगों का मेला लग गया। यहां दंडक व पादुका पूजन, बालाजी, शिव की पूजा की गई।
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ढोले नगाड़ों के साथ निकली पादुका यात्रा
सृष्टि में शिव और विष्णु की लीला के अलावा कुुछ नहीं

बड़े पर्दे पर लाइव प्रसारण रखा गया, जिसमें नरेन्द्र महाराज ने कहा कि भक्ति और साधना से परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। सृष्टि में शिव और विष्णु की लीला के अलावा कुुछ नहीं हैं। वे संपूर्ण जगत के पालक हैं। उनकी कृपा से ग्रह, उपग्रह, पिंड ब्रह्मांड में गतिमान हैं। संसार में कर्म और नीति भक्ति के ही रूप हैं। मेहनत और सच्चे कर्म से जीवन में आनंद ही आनंद दौडऩे लगता है। दिल, मन, और चित्त से किए कर्मफल से जीवन में दुख, क्लेश का कलंक लगने का सवाल ही नहीं उठता। प्रवचन के दौरान शंकराचार्य ने अनेक प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी नशा, धूम्रपान, मद्यपान की ओर तेजी से आकर्षित हो रही है। युवाओं को शराब व नशे की लत से दूर रहने का प्रयास किया है। उन्होंने महिलाओं को बताया कि घर में परिवार की जिम्मेदारी उनकी अधिक रहती हैं। घर में नशा जैसी व्याधि उत्पन्न नहीं होने दें। स्वामी को सुनने के लिए सिलवासा, आमली, नरोली, दादरा, मसाट एवं आसपास से श्रद्धालु पहुंचे।
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