फीस को लेकर कोई स्पष्टता नहीं
विवाद सालभर की फीस का नहीं, प्रोविजनल फीस का भी है। प्रोविजनल फीस को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। राज्य सरकार ने प्रोविजनल फीस को लेकर नियम नहीं बनाए, इसलिए स्कूल मनमानी प्रोविजनल फीस वसूल रहे हैं। स्कूलों का कहना है कि जो फीस उन्होंने तय की है, वही प्रोविजनल फीस है। दूसरी ओर अभिभावकों का कहना है कि प्रोविजनल फीस काफी ज्यादा है। अन्य फीस जोडऩे से रकम और बढ़ जाती है।
विवाद सालभर की फीस का नहीं, प्रोविजनल फीस का भी है। प्रोविजनल फीस को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। राज्य सरकार ने प्रोविजनल फीस को लेकर नियम नहीं बनाए, इसलिए स्कूल मनमानी प्रोविजनल फीस वसूल रहे हैं। स्कूलों का कहना है कि जो फीस उन्होंने तय की है, वही प्रोविजनल फीस है। दूसरी ओर अभिभावकों का कहना है कि प्रोविजनल फीस काफी ज्यादा है। अन्य फीस जोडऩे से रकम और बढ़ जाती है।
एफआरसी की समय पर बैठक नहीं
सूरत जिले के लिए बनाई गई एफआरसी कमेटी की बैठक समय पर नहीं हो रही है। कोई न कोई पदाधिकारी अवकाश पर होता है। इस वजह से फैसले में विलंब हो रहा है। एफआरसी की ओर से फैसला नहीं आने के कारण स्कूल मनमानी कर रहे हैं। जब भी एफआरसी की बैठक होती है, अभिभावकों को आश्वासन देकर शांत कर दिया जाता है।
सूरत जिले के लिए बनाई गई एफआरसी कमेटी की बैठक समय पर नहीं हो रही है। कोई न कोई पदाधिकारी अवकाश पर होता है। इस वजह से फैसले में विलंब हो रहा है। एफआरसी की ओर से फैसला नहीं आने के कारण स्कूल मनमानी कर रहे हैं। जब भी एफआरसी की बैठक होती है, अभिभावकों को आश्वासन देकर शांत कर दिया जाता है।
सिर्फ शिकायतें सुन रहे
जिला शिक्षा अधिकारी इस मामले में सिर्फ शिकायतें सुन रहे हैं। शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वह भी एफआरसी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जब भी किसी स्कूल में विवाद बढ़ता है, जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से उस स्कूल में एक अधिकारी भेजकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जाता है।
जिला शिक्षा अधिकारी इस मामले में सिर्फ शिकायतें सुन रहे हैं। शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वह भी एफआरसी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जब भी किसी स्कूल में विवाद बढ़ता है, जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से उस स्कूल में एक अधिकारी भेजकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जाता है।