पुलिस के मुताबिक भटार रोड आशीर्वाद पैलेस निवासी उद्योगपति विजय शोभालाल शाह के साथ वेसू केपीटल ग्रीन निवासी कैलाशचंद्र लोहिया, उनकी पत्नी दिशा, अजमेर निवासी विनोद अग्रवाल (नागौरी) व वेसू स्टार गैलेक्सी निवासी आलोक केडिया ने मिल कर धोखाधड़ी की। वॉटर फिल्टर, कोल्ड स्टोरेज आदि का कारोबार करने वाले विजय ने सरकारी निलामी की प्रोपर्टी खरीदने के लिए 2003 में अहमदाबाद की ठक्कर फैमिली की सुवास रियालिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खरीदी थी।
उसमें चांडक ग्रुप के बीके चांडक, गर्ग ग्रुप के आलोक गर्ग व मनोज कावडिया को हिस्सेदार बनाया था। 2004 में सीए कैलाश लोहिया को 15 हजार रुपए वेतन में नौकरी पर रखा था। फिर डॉयरेक्टर बना दिया था। नियोजित साजिश के तहत कैलाश ने कंपनी के डिरेक्टरों व शेयर होल्डरों की मंजूरी के बिना आलोक को कंपनी का ऑडिटर बनाया व उसके नाम पर कंपनी के शेयर ट्रांसफर कर दिए।
उसके बाद कंपनी के डायरेक्टरों व शेयर होल्डरों की अनुमति के बिना मनोज कावडिया को हटा कर उनकी जगह विनोद को कंपनी का डायरेक्टर बना कर दिया। डिरेक्टरों व शेयर होल्डरों की मंजूरी के बिना कंपनी के बैंक खातों से 3.40करोड़ रुपए उसकी पत्नी दिशा के खाते में ट्रांसफर कर दिए। विजय की हाईटेक वॉटर सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड में 50 फीसदी की हिस्सेदार कैलाश ने उसमें भी घपला किया।
2013 में विजय ने कंपनी के टेंडर पास करवाने के लिए उसे 6.35 करोड़ रुपए दिए थे। उसने उन रुपयों समेत 7 करोड़ रुपए बाबूलाल पटेल कंस्ट्रक्शन, तापी मार्केटिंक के खातों में ट्रांसफर कर दिए और एक फ्लैट खरीद लिया। इस विजय की प्राथमिकी के आधार पर क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी व जालसाजी का मामला दर्ज किया है। क्राइम ब्रांच ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गंगापुर के मूल निवासी कैलाशचंद्र लोहिया को गिरफ्तार किया है। उससे अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दिल्ली के तीन जनों ने मिलेनियम मार्केट के व्यापारी की धोखाधड़़ी सूरत. रिंग रोड़ स्थित मिलेनियम मार्केट के एक व्यापारी के साथ 18.22 लाख रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में सलाबतपुरा पुलिस ने दिल्ली के तीन जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक चीराखाना दिल्ली स्थित आर्या टैक्सटाइल के संचालक सचिन आर्या व दीपक ठाकुर तथा दिल्ली चांदनी चौक सुभाष मार्केट के लाभचंद जैन ने मिल कर भटार आशीर्वाद पैलेस निवासी नवनीत अग्रवाल के साथ धोखाधड़ी की।
उन्होंने अक्टूबर 2019 से दिसम्बर 2019 के दौरान नवनीत को विश्वास में लिया। 60 दिन में भुगतान का वादा कर उनसे साडिय़ां उधार ली। लेकिन भुगतान नहीं किया। कुछ समय टालमटोल की और फिर बंद खातों के चेक देकर मुकर गए।