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पत्रिका फोकस- सूरत के ट्रोमा सेन्टर में इलाज के लिए आए मरीजों को भटकना पड़ता है

locationसूरतPublished: Jan 22, 2019 09:40:05 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

चिकित्सकों के मंजूर पद अभी तक नहीं भरे, मरीजों को हो रही दिक्कत
एमसीआइ निरीक्षण में ऑपरेशन थियेटर, आइसीयू, एक्स-रे और लेबर रूम चालू बताने का खेल
निरीक्षण के बाद मरीजों की सुविधाएं हो जाती हंै बंद
ट्रोमा सेंटर में एक छत के नीचे मरीजों को सभी सुविधा देने के दावे हवा हवाई

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पत्रिका फोकस- सूरत के ट्रोमा सेन्टर में इलाज के लिए आए मरीजों को भटकना पड़ता है

सूरत.

न्यू सिविल अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में एक छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलने के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। ट्रोमा सेंटर में आइसीयू वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, प्रसूति गृह और एक्स-रे की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार ने कुछ जगहों पर नई भर्ती की मंजूरी दी थी। लेकिन, इस परिपत्र को करीब एक वर्ष होने को है फिर भी सभी महत्वपूर्ण सीटें आज भी रिक्त है।
दक्षिण गुजरात के सबसे बड़े सरकारी न्यू सिविल अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में आने वाले इमरजेंसी मरीजों को इलाज के लिए यहां वहां भटकना पड़ता है। ट्रोमा सेंटर में प्रतिदिन 80 से सौ मरीज सडक़ दुर्घटना, आत्महत्या समेत आकस्मिक घटनाओं वाले पहुंचते हंै। लेकिन, ट्रोमा सेंटर में काफी समय से ऑपरेशन थियेटर, आइसीयू वार्ड, प्रसूति गृह और एक्स-रे की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है।
ट्रोमा सेंटर में आने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसूति गृह होने के बावजूद गायनेक वार्ड में रेफर किया जाता है। आइसीयू वार्ड के लिए तीन बेड चिन्हित किए गए हैं। सभी व्यवस्था होने के बावजूद आइसीयू वार्ड शुरू नहीं किया गया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के निरीक्षण के दौरान यह सभी सुविधाएं चालू स्थिति में दिखाई जाती हैं। वहीं, दौरा खत्म होते ही पुरानी स्थिति लौट आती है।
ड्रेसिंग रूम को ही ऑपरेशन थियेटर के तौर पर उपयोग किया जाता है। इसी कमरे में मरीजों के टांके लेने समेत छोटे ऑपरेशन कर लिए जाते हैं। राज्य सरकार ने ट्रोमा सेंटर को फुल फ्लैश में चालू करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों समेत 54 कर्मचारियों की भर्ती को मंजूरी दी थी।
एक वर्ष होने को है लेकिन, इनमें से कुछ पदों को छोड़ दें तो महत्वपूर्ण चिकित्सकों के पद अब तक भरे नहीं जा सके हंै। मरीजों को एक्स-रे के लिए भी रेडियोलॉजी विभाग के एक्स-रे रूम तक स्ट्रेचर पर ले जाना होता है। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के लिए ट्रोमा सेंटर के दूसरी मंजिल पर वार्ड बनाया गया है। यहां भी बहुत कम मरीजों को भर्ती किया जाता है।
कम वेतन के कारण भर्ती अटकी

ट्रोमा सेंटर को चलाने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर इन ऑर्थोपेडिक, असिस्टेंट प्रोफेसर इन एनेस्थेसिया, मेडिकल ऑफिसर, एक्स-रे टेक्निशियन, लेबोरेटरी टेक्निशियन, हेड नर्स, स्टाफ नर्स की नियुक्ति करने को मंजूरी राज्य सरकार ने दी थी। इन पदों को नहीं भरे जाने के पीछे कम वेतन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि ऑर्थोपेडिक और एनेस्थेसिया चिकित्सकों का वेतन 35 हजार तय किया गया है। जबकि निजी अस्पताल में इन चिकित्सकों को अधिक वेतन मिलता है। इसी तरह लैब टेक्निशियन और एक्स-रे टेक्निशियन की जगह को आउट सोर्स से भरा गया है, जिसमें इनके वेतन बहुत कम तय है।
एइआरबी से एनओसी आने की देर

ट्रोमा सेंटर में मरीजों को एक्स-रे की सुविधा नहीं मिलने की खबर राजस्थान पत्रिका ने 17 जनवरी को ट्रोमा सेंटर में एक्स-रे सुविधा बंद, परेशानी बढ़ी शीर्षक से प्रकाशित की थी। आरएमओ डॉ. केतन नायक ने बताया कि एइआरबी ने पिछले दिनों निरीक्षण के दौरान कुछ कमियों को सुधार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पीआइयू विभाग से ट्रोमा सेंटर के एक्स-रे रूम की खामियों को दूर करवाया गया। इसके बाद एक रिपोर्ट बनाकर एइआरबी को भेजी गई है। एइआरबी से एनओसी मिलने के बाद ट्रोमा सेंटर में मरीजों को एक्स-रे सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।
आइसीयू वार्ड शीघ्र शुरू करेंगे

ट्रोमा सेंटर के लिए राज्य सरकार ने ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थेसिया समेत अलग-अलग पदों पर नियुक्ति के लिए मंजूरी दी थी। फिलहाल ज्यादातर पद रिक्त हैं। इन्हें भरने के लिए फिर से राज्य सरकार को आवेदन किया जाएगा। रिक्त पदों पर नियुक्ति की समय सीमा बढ़ाने के लिए भी कहा जाएगा। वहीं आइसीयू वार्ड के लिए पर्याप्त स्टाफ है। उसे जल्दी शुरू करने का प्रयास रहेगा।
डॉ. गणेश गोवेकर, अधीक्षक और फोरेन्सिक विभाग के अध्यक्ष, न्यू सिविल अस्पताल।

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