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Patrika alert/ सूरत की हवा हो रही जहरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल

locationसूरतPublished: Nov 07, 2020 02:50:46 pm

सुबह और रात में वायु प्रदूषण की मात्रा में हो जाता है इजाफा, सुबह योग, मॉर्निंग वॉक करने वालों को मिलती है दूषित हवा की सौगातरात 12 बजे से सुबह 8 बजे तक का समय लोगों के लिए खतरनाक, वराछा और लिंबायत में लगी है एयर मॉनिटरिंग सिस्टम, रात से सुबह तक आंकड़ा 300 से पहुंच जाता है 400 तक

Patrika alert/ सूरत की हवा हो रही जहरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल

Patrika alert/ सूरत की हवा हो रही जहरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल

सूरत. गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत स्मार्ट सिटी में शुमार है और स्वच्छता सर्वेक्षण में भी इस बार बाजी मारी है। वहीं इसका दूसरा पहलू प्रदूषण हमें डराने के साथ इससे बचने के उपाय खोजने के लिए आगाह भी करता है। जानकार लोगों की मानें तो वस्त्र उद्योग और डायमंड के हब के रूप में प्रसिद्ध गुजरात के इस औद्योगिक शहर की हवा सांस लेने योग्य नहीं रह गई है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो जहरीली हो रही है। राजस्थान पत्रिका टीम ने गुरुवार और शुक्रवार को शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स का जायजा लिया। तो स्थिति भयावह नजर आई। भरपूर औद्योगिक इकाइयों वाले इस शहर में खासकर कपड़ा उद्योग से होने वाले वायु प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है। शहर में सुबह और रात के समय प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। सुबह योग और मॉर्निंग वॉक करने वालों को स्वच्छ हवा की जगह प्रदूषित हवा का तोहफा मिल रहा है। शहर का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स इस समय 300 के पार पहुंच जाता है।
अमूमन सर्दी का मौसम शुरू होते ही शहर में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। शहर में रात के वक्त तापमान में गिरावट के साथ समस्या गंभीर हो जाती है। रात 12 बजे से सुबह 8 बजे तक लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है, क्योंकि इस समय शहर के वातावरण में प्रदूषण की मात्रा प्रति घंटा बढ़ती रहती है।

सुबह नहीं मिलती स्वच्छ हवा

सर्दी की मौसम शुरू होने के साथ शहर की हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। सुबह 05:30 से 09:30 तक हवा में काफी प्रदूषण रहता है। सुबह यह आंकड़ा 300 से 350 तक रहता है। इसलिए स्वच्छ हवा की जगह सांसो में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा पहुंचती है। शहर के सभी क्षेत्रों में लोग सुबह रास्तों और बगीचों में चलते नजर आते है। सर्दी के मौसम में खुद को स्वच्छ हवा से तंदुरस्त रखने के उदेश्य से लोग चलने निकलते हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं की स्वच्छ हवा की जगह प्रदूषण उनक सांसो में जा रहा है। कोहरे की जगह प्रदूषण वातावरण में फैला हुआ है।
लिंबायत और वराछा जोन में दो एयर मॉनिटरिंग मशीन

सूरत महानगर पालिका ने शहर में प्रदूषण का स्तर मापने के लिए लिंबायत और वराछा जोन क्षेत्र में दो एयर मॉनिटरिंग मशीन लगा रखी हंै। इनके आधार पर शहर के वातावरण में फैलने वाले वायु प्रदूषण की मात्रा को नापा जाता है। शहर के सभी विस्तार प्रदूषण की चपेट में हैं। इन मशीनों के आधार पर शहर में फैल रहे प्रदूषण की मात्रा का अंदाजा लगाया जाता है। शहर के आसपास जीआइडीसी है, इसका असर सभी क्षेत्रों हो रहा हैं।
आस-पास के क्षेत्रों पर भी असर

लिम्बायत के पास उधना, भेस्तान, गोडादरा, पांडेसरा विस्तार है। इन विस्तारों के साथ भटार, सिटीलाइट और घोड़दौड़ रोड जुड़ जाते हैं। उधना के पास रुस्तमपुरा, सलाबतपुरा, चौक आदि विस्तार जुड़ जाते हैं। लिम्बायत में लगी मशीन के अनुसार हवा में सुबह से लेकर रात तक प्रदूषण की मात्रा 215 से लेकर 390 तक पहुंच जाती है। इसका असर आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस किया जाता है। वराछा में लगी मशीन का आंकड़ा को 400 के करीब पहुंच जाता है। इसलिए यहां आसपास रहने वाले लोगों पर प्रदूषण का और भी अधिक असर होता है।
वराछा के आसपास हालात होते जा रहे खतरनाक

वराछा जोन में भी मनपा ने मॉनिटरिंग सिस्टम लगा रखा है। इस विस्तार के आसपास स्टेशन, कतारगाम, कापोद्रा, वेडरोड व अन्य कई विस्तार जुड़े हुए हंै। यहां दोपहर को 12 बजे से हवा में प्रदूषण की मात्रा 340 तक पहुंच जाती है। एक्यूआई की मात्रा फिर कम नहीं होती है। यह प्रतिघंटे बढ़ती ही जाती है।
वायु प्रदूषण से प्रत्येक 8 व्यक्ति में एक की मौत

वायु प्रदूषण का प्रभाव पूरे देश और दुनिया भर में देखने को मिल रहा है। विश्व के कई ऐसे शहर हैं जहां प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को भी पार कर गया है और जिससे हर वर्ष हजारों लोगों की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा असर लोगों के जीवनशैली पर देखा जा सकता है और इसके कारण लोगों की औसत आयु करीब 1.7 वर्ष घट गई है। बता दें कि वायु प्रदूषण के संबंध में ‘दी लैन्सेट प्लेनैट्री हेल्थ’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में वायु प्रदूषण की स्थिति क्या है और इससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही है। इसके अलावा यह भी बताई गई है कि लोगों के जीवन की औसत उम्र कितनी घट गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का 18 प्रतिशत है, लेकिन उसके अनुपात में देखें तो वायु प्रदूषण कहीं ज्यादा 26 प्रतिशत है। 2017 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 12.4 लाख लोगों की मौत हो गई जो कि 70 वर्ष से कम उम्र के थे।
बढ़ते वायु प्रदूषण से इन गंभीर बीमारियों का खतरा

दुनिया में तेजी से बढ़ रहा वायु प्रदूषण तमाम गम्भीर बीमारियों को पैदा कर रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक बढ़ते वायु प्रदूषण से दमा, फेफड़ों का कैंसर, ब्रॉन्काइटिस, टीबी, अस्थमा और निमोनिया जैसे कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि बढ़ते प्रदूषण से हवा में कार्बन मोनोआक्साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ गयी है। जो सांस के माध्यम से शरीर में जाकर इन रोगों को जन्म दे रही है।
हवा में मौजूद रासायनिक तत्व सांस के रोग, फेफड़ों में सूजन, स्किन की बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार हैं क्योंकि वायु प्रदूषण से ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचता है और यूवी किरणें धरती पर पहुंच कर स्किन कैंसर, आंखों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को क्षति पहुंचा सकता है।

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