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PATRIKA IN-DEPTH STORY : इंजीनियरिंग में प्रवेश तभी, जब दिमाग और जेब दोनों में हो दम

locationसूरतPublished: Jun 14, 2018 08:38:24 pm

– इंजीनियरिंग में एक सेमेस्टर की फीस 60 हजार से डेढ़ लाख तक- सरकारी कॉलेज से स्वनिर्भर कॉलेज की फीस में भारी अंतर

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PATRIKA IN-DEPTH STORY : इंजीनियरिंग में प्रवेश तभी, जब दिमाग और जेब दोनों में हो दम

सूरत.

अगर गुजरात के कॉलेज से इंजीनियर बनने का सपना साकार करना हो तो तेज दिमाग के साथ जेब भी मजबूत होनी चाहिए। इंजीनियरिंग की एक सेमेस्टर की फीस 60 से डेढ़ लाख रुपए तक है। सरकारी कॉलेज और स्वनिर्भर कॉलेज की फीस में जमीन-आसमान का फर्क है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई जितनी कठिन है, उतना ही मुश्किल उसकी फीस भरना है। राज्य के सभी स्वनिर्भर महाविद्यालयों और संस्थानों की फीस भारी भरकम है। इंजीनियरिंग के एक सेमेस्टर की फीस ही लाखों रुपए में है। इसके अलावा विद्यार्थी के अन्य कई तरह के खर्च भी होते हैं। अच्छे अंक आने पर सरकारी कॉलेज में प्रवेश के लिए कड़ी स्पर्धा होती है। यहां नंबर लगा तो ठीक है, नहीं तो प्राइवेट कॉलेज में तगड़ी फीस चुकानी पड़ती है।
– 60 हजार से लाख रुपए की फीस
राज्यभर में कुल ९२ स्वनिर्भर इंजीनियरिंग कॉलेज और संस्थान हैं, जिनमें कुल ४२,५६९ सीटें हैं। इन सभी की फीस 60 हजार से शुरू होती है। कुछ संस्थान की फीस लाख रुपए तो कुछ की डेढ़ लाख तक फीस है। यह फीस एक सेमेस्टर की है। 60 हजार से कम फीस वाला एक भी स्वनिर्भर कॉलेज नहीं है।
– ऑटोनोमस की फीस भी लाख रुपए
राज्य में एक ऑटोनोमस कॉलेज है, जिसे एआईसीटीई और जीटीयू दोनों ने मान्यता दे रखी है। एसीपीसी ने भी इसे प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया है। इस कॉलेज में कुल १८० सीटें हैं। इन सभी की फीस 68 हजार से 1 लाख, 25 हजार तक रखी गई है।
– पीपीपी भी कॉलेज भी महंगे
राज्य सरकार ने ३ पीपीपी कॉलेज शुरू किए हैं। इनको मिलाकर 6०0 सीटे हैं। इन कॉलेज की फीस भी काफी तगड़ी है। यहां एक सेमेस्टर के 68 हजार से 80 हजार रुपए तक की फीस वसूली जाती है।
– सरकारी और अनुदानित की फीस सामान्य
राज्यभर में 16 सरकारी और ३ अनुदानित इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज हंै। इन दोनों को मिलाकर कुल 10,224 सीटें हैं। यहां एक सीट की फीस मात्र 1500 रुपए है। जबकि इनसे विपरीत स्वनिर्भर, ऑटोनोमस और पीपीपी कॉलेज की फीस 100 गुना अधिक है। इसलिए राज्य के पहले 10 हजार, 200 विद्यार्थियों को ही कम फीस में इंजीनियर बनने का अवसर मिलता है। अन्य विद्यार्थियों को इंजीनियर बनने के लिए चार सालों में लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
– छात्राओं के लिए नि:शुल्क
राज्य के सरकारी और अनुदानित इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज में छात्राओं को प्रवेश निशुल्क है। वहीं, स्वनिर्भर कॉलेज में लाखों रुपए फीस चुकानी पड़ सकती है।

– खुलेआम लूटते हैं कॉलेज
स्वनिर्भर कॉलेज के संचालक विद्यार्थियों को खुलेआम लूटते हैं। फीस के अलावा भी कई प्रकार की फीस विद्यार्थियों से वसूली जाती है। प्रमाणपत्र जमा करवा लिए जाते हैं। प्रमाणपत्र वापस मांगने पर विद्यार्थियों से लाखों रुपयों की फीस भरवाई जाती है। फीस नहीं भरने पर विद्यार्थी के प्रमाणपत्र नहीं दिए जाते हैं।

संचालक कमाते हैं करोड़ो
स्वनिर्भर कॉलेज संचालक फीस के अलावा डोनेशन भी तगड़ा लेते हैं। इन कॉलेज पर लगाम नहीं होने के कारण संचालक करोड़ों रुपए बटोर लेते हैं। ऐसे करने वाले संचालकों पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती है।

लाखों खर्च करने के बाद भी नौकरी नहीं
इंजीनियङ्क्षरग में लाखों रुपए की फीस भरकर डिग्री हासिल करने के बावजूद राज्य में विद्यार्थियों के लिए उचित रोजगार भी उपलब्ध नहीं है। इंजीनियङ्क्षरग करने के बाद विद्यार्थियों को अन्य राज्यों व शहरों में रोजगार के लिए भटकना पड़ता है। कुछ खुद का व्यापार करने लगते हैं, बाकी नौकरी की तलाश में घूमते हैं। इंजीनियङ्क्षरग में लाखों खर्च करने पर भी राज्य में नौकरी नहीं मिलती है।

राज्य के इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज की संख्या, सीट व फीस की स्थिति:
कॉलेज संख्या सीट फीस
सरकारी इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज 16 8970 1500(छात्राओं को नि:शुल्क)
अनुदानित इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज 03 1254 1500(छात्राओं को नि:शुल्क)
ऑटोनोमस संस्थान 01 0180 1,35,000
पीपीपी इंजीनियरिंग कॉलेज 03 600 68 से 80 हजार
स्वनिर्भर इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज 92 42569 60 हजार से डेढ़ लाख रुपए
निजी विवि संबद्ध इंजी.कॉलेज 26 12516 1 लाख से 2 लाख 20 हजार रुपए
कुल १४१ 66089
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