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जनप्रतिनिधि ही विद्यार्थियों की समस्या से अनजान

locationसूरतPublished: Sep 17, 2017 08:55:45 pm

शहर के 12 विधानसभा क्षेत्रों में लाखों विद्यार्थी हैं। इनमें से हजारों युवा हिन्दी में यूजी और पीजी कर रहे हैं। शहर के अधिकांश विधायकों को वीएनएसजीयू

जनप्रतिनिधि ही विद्यार्थियों की समस्या से अनजान

जनप्रतिनिधि ही विद्यार्थियों की समस्या से अनजान

सूरत।शहर के 12 विधानसभा क्षेत्रों में लाखों विद्यार्थी हैं। इनमें से हजारों युवा हिन्दी में यूजी और पीजी कर रहे हैं। शहर के अधिकांश विधायकों को वीएनएसजीयू में हिन्दी विभाग की स्थिति की जानकारी तक नहीं है। हालांकि अब यह सभी विधायक राज्य सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाकर इसे शुरू करवाने का वादा कर रहे हैं।

दो साल पहले राजस्थान पत्रिका ने हिन्दी विभाग के लिए अभियान शुरू किया था। इसके चलते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वीएनएसजीयू को हिन्दी विभाग शुरू करने की अनुमति दी और साथ ही 1 करोड़ से अधिक का अनुदान भी मंजूर किया। तब कई विधायकों ने हिन्दी विभाग के विकास के लिए योगदान देने का वादा भी किया था। तत्कालीन कुलपति डॉ.दक्षेश ठाकर को बधाई भी दी थी।

दक्षिण गुजरात में इसकी जमकर चर्चा हुई और लंबे समय तक बधाई का दौर चलता रहा। इसके बावजूद राज्य सरकार की उदासीनता के चलते यह विभाग शुरू नहीं हो पाया तो विधायक भी इसको भूल गए। कई विधायकों को तो इसके बारे में जानकारी ही नहीं, तो कुछ का कहना है कि यह उनका विषय ही नहीं है। जबकि शहर के सभी विधानसभा क्षेत्रों के हजारों विद्यार्थी हिन्दी में डिग्री हासिल कर रहे हैं। सैकड़ों हिन्दी में एमफिल और पीएचडी कर रहे हैं।

जब भी राजनीति की बात आती है तो यही विधायक हिन्दी को महत्व देते हैं। इतना बड़ा जनता से जुड़ा मामला विधायकों को पता नहीं हो, आश्चर्य की बात है। हालांकि विधायकों ने इस मामले में सरकार से अपील कर इस विभाग को शुरू करने का फिर एक बार वादा किया है। अब देखना यह है कि जनता के यह प्रतिनिधि अपना वादा निभाते हैं या फिर भूल
जाते हैं।

सरकार तक पहुंचाएंगे बात

& वीएनएसजीयू में हिंदी विभाग खुले, इसके लिए जरूरी प्रयास करेंगे। सरकार के पास जिस स्टेज में फाइल रुकी है, वहां जाकर कारणों का पता लगाएंगे। मंत्री स्तर तक बातचीत कर इस दिशा में तेजी से प्रयास किया जाएगा, ताकि हिन्दी विभाग शीघ्र खुल सके। जनक बगदाना, विधायक, करंज विधानसभा

नहीं कोई जानकारी

& हिन्दी विभाग का मामला क्यों रुका है, इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। जानकारी एकत्र कर विभाग शुरू करवाने का प्रयास किया जाएगा।हर्ष संघवी, विधायक,मजूरा विधानसभा

अहिन्दी भाषी इलाकों के विवि में भी हिन्दी विभाग

भारत के अहिन्दी भाषा क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों में भी हिन्दी विभाग है। हिन्दी में उपाधि पाने के लिए दक्षिण गुजरात के विद्यार्थियों को दर-दर भटकना पड़ता है। हिन्दी विभाग नहीं होने पर अयोध्या शोध संस्थान के साथ होने वाला एमओयू हाथ से निकल गया। एमओयू होने से शोध करने के लिए प्रति विद्यार्थी पांच लाख का अनुदान मिलता। विभाग नहीं होने से हिन्दी की किताबों की बड़ी समस्या है।

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