भरुच शहर में ग्लोबल वार्मिंग के असर से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने तथा उत्तर दिशा की ओर से हवा नहीं चलने से ठंडी का असर नहीं दिख रहा है। रविवार को भरुच शहर में अधिकतम तापमान 37 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री दर्ज किया गया। पिछले साल की तुलना में इस बार तापमान में छह डिग्री का इजाफा हुआ है। आगामी १५ दिसंबर के बाद से ही लोगों को गर्मी से छुटकारा मिलने की उम्मीद है।
जिले में औद्योगिक विकास के साथ ग्लोबल वार्मिंग का असर भी देखने को मिल रहा है। सर्दी के मौसम की शुरुआत होने के बाद भी अभी भी लोग गर्मी का अनुभव कर रहे हैं। जिले में अधिकतम और न्यूनतम तापमान भी बढ़ा है। पिछले वर्ष नवंबर माह में अधिकतम तापमान 31 व न्यूनतम तापमान 13 डिग्री रहा था। सामान्य रूप से उत्तर दिशा की ओर से आने वाली हवा से जाड़े का मौसम बन जाता है। हाल दक्षिण दिशा की ओर से हवा चल रही है जिसकी गति दो किमी प्रति घंटे है। उत्तर भारत में बर्फबारी होने के बाद भी भरुच में लोग ठंड का सही मायने में अहसास नहीं कर पा रहे हैं। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में भी इजाफा होने से वातावरण में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
कार्बन डाइऑक्साइड से मौसम पर असर
पेट्रोल और डीजल के ज्यादा हो रहे इस्तेमाल से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (सीओटू) की मात्रा में चिंताजनक रूप से बढ़ोत्तरी हो रही है। कार्बन डाइऑक्साइड गर्मी में तेजी से गर्म और ठंडी में तेजी से सर्दी होने वाली गैस मानी जाती है। सूर्य से जब अक्षांश और देशांश को बदला जाता है तब मौसम में परिवर्तन होता है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी मात्रा के कारण मौसम में काफी ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
गेहूं क ी फसल पर भी असर
जिले में किसानों ने सर्द ऋतु वाले गेहूं की फसल की बुवाई की है। कृषि विशेषज्ञ निर्मल सिंह यादव ने कहा कि गेंहू क ी फसल के लिए पंद्रह से १७ डिग्री तापमान होना जरूरी है, लेकिन अभी तो न्यूनतम तापमान ही २२ डिग्री के करीब चल रहा है। अगर ठंडी की शुरुआत नहीं हुई तो गेहूं की फसल पर खराब असर पड़ सकता है।
वृक्षों की कमी भी चिंताजनक
नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के मकतमपुर केन्द्र के वैज्ञानिक मुकेश पटेल ने कहा कि कार्बन डाइऑक्साइड नामक जहरीली गैस का शोषण वृक्ष करते हैं और जिलेे में हरियाली तेजी से कम हुई है। पेड़ पौधे की कटाई तथा धुएं के कारण जहरीली गैस वातावरण में धुल गई है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अब मौसम का अनुमान लगा पाना भी मुश्किल हो गया है। खाड़ी के देशों में भी अब ठंडी और बारिश होने लगी है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए, तभी समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है। पेड़ ही कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाते है