जानकारी के अनुसार जिले में आदिवासी संगठनों द्वारा संविधान में मिले आदिवासियों के अधिकारों के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत चिखली, खेरगाम व वांसदा तहसील के गांवों में आदिवासी परंपरा के अनुसार रुढिग़त ग्राम सभा हो रही है जो अब भाजपा के लिए चिंता का विषय बनी है। तीनों तहसीलों में पडऩे वाली दो विधानसभाओं में एक कांग्रेस और एक भाजपा के विधायक हैं।
चार नवंबर को चिखली के वाड़ और खांभला गांव में आदिवासियों ने रुढिग़त ग्राम सभा की। जिसमें गैर आदिवासियों को गांव में प्रवेश पर रोक, रुढिग़त ग्राम सभा की शक्ति विधायक व सांसद से भी अधिक होने का दावा किया गया। ग्राम पंचायत के समानांतर इस सभा में गांव के अग्रणी की नियुक्ति भी की गई। इसका पता चलने पर दोनों गांव के सरपंच व कई ग्रामीणों ने कलक्टर डॉ. एमडी मोडिया से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया है कि गांव में आदिवासियों की संख्या अधिक होने से सरपंच व सदस्य भी ज्यादातर आदिवासी हैं।
कुछ हजार की आबादी वाले गांव में आदिवासी के साथ मुस्लिम, कोली व अन्य जाति के लोग भी रहते हैं। लोगों ने कहा है कि रुढिग़त ग्राम सभा में पास किये गए प्रस्तावों से गांव की शांति और सुरक्षा बिगडऩे के अलावा वर्ग विग्रह फैलने की आशंका है। लिहाजा इस तरह की ग्रामसभा पर रोक लगाने की मांग की गई है। कलक्टर ने लोगों को योग्य कार्यवाही का आश्वासन दिया।