सूरत

Letter to Chief Minister लोगों ने समूह में लिखे मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड

कब्जा रसीद आवासों को नियमित करने की मांग, लोगों ने वराछा में डिग्री कॉलेज की जरूरत बताई

सूरतSep 26, 2020 / 08:07 pm

विनीत शर्मा

Letter Áß Chief Minister लोगों ने समूह में लिखे मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड

सूरत. शहर के पूणा क्षेत्र में कांग्रेस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड लिखकर राज्य सरकार को उसके पुराने वायदे पर घेरने की कवायद शुरू की है। शुक्रवार को पूणा क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों से मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड लिखवाए गए। इन पोस्टकार्ड में कब्जा रसीद मकानों को नियमित करने का मुख्यमंत्री का चुनाव से पहले का वायदा याद दिलाया गया है। कांग्रेस ने लॉकडाउन से पहले यह मुहिम शुरू की थी और 25 हजार पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री को भेजने का लक्ष्य तय किया था।
विधानसभा 2017 के चुनाव से पहले राज्य सरकार ने कब्जा रसीद मकानों को नियमित करने का वायदा किया था। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था कि उनकी सरकार सत्ता में वापस लौटी तो कब्जा रसीद के मकानों को नियमित किया जाएगा। दो साल बाद भी इस वायदे पर अमल नहीं होने पर कांग्रेस ने लॉकडाउन से पहले सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। लॉकडाउन के कारण अभियान बीच में ही रुक गया था। अनलॉक-4.0 में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर फिर धार देना शुरू किया है।
शनिवार को स्थानीय पार्षद दिनेश सावलिया और शिक्षण समिति सदस्य सुरेश सुहागिया की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूणा क्षेत्र की नारायण नगर सोसायटी में जाकर लोगों से कब्जा रसीद वाले घरों को नियमित करने की मांग के साथ मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड लिखवाए। सोसायटी की महिलाओं ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्रों में सड़कों के बीच हाइ वोल्टेज लाइनों को हटाने और वराछा में एक डिग्री कॉलेज की मांग भी की है। सुहागिया ने बताया कि इसके लिए पूरे पूणा क्षेत्र में डोर टू डोर अभियान चलाया जाएगा। गौरतलब है कि अभियान के तहत लॉकडाउन से पहले 10,000 पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री को भेजे गए थे। अभियान के दूसरे चरण में मुख्यमंत्री को 15,000 पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे।

यह है मामला

सूरत में बीते तीन-चार दशक से लोग शहर में कब्जा रसीद के आधार पर मकान के मालिक बने हुए हैं, लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया गया है। शहरभर में करीब 35 सौ सोसायटियां कब्जा-रसीद पर हैं और पांच लाख मकानों को नियमित होने का इंतजार है। 90 के दशक में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के समय से कब्जा रसीद के मकानों को नियमित करने की मांग होती रही है। कब्जा रसीद के मकानों को नियमित करने का मामला स्थानीय निकाय के चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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