शहर में दोपहर के बाद नदी एवं खाडिय़ों के घाट पर श्रद्धालुओं का जमघट लगने लगा।
पूजन सामग्री का डाला सिर पर रखकर व्रतियों ने परिवारजनों के साथ नदी के विभिन्न घाटों पर उपासना की।
दोपहर के बाद महिलाएं घरों से छठी मैया के गीत गाती हुई नदी नालों के किनारे पहुंची।
केलवा के पात पर उगा हो सूरज देव, घाट केलवा जे फरेला घवद से, निंदिया के मातल सुरूज अंखियों ना खोले हे आदि गीत गाती हुई महिलाएं विभिन्न घाटों पर जमा हो गई।
शाम के समय षष्ठी मैया के गीत और जयकारों से घाट गूंज उठे। नदी किनारे श्रद्धालुओं ने बांस के सूप में मौसमी फल रखकर पीले कपड़े में ढक दिए एवं दीप जलाकर वेदी पूजा की।