मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य और बुधवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य के बाद व्रत का पारणा किया जाएगा।
छठ का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने रविवार को तापी किनारे, तालाब और घरों में शुद्ध जल से स्नान कर सूर्य भगवान को नमन किया।
अरवा चावल से बने भात, चने की दाल, कद्दू और लौकी की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करने के बाद खरने का प्रसाद तैयार किया गया। विशेष रूप से आटे से निर्मित ठेकुआ की तैयारी समूह में शुरू की गई।