पतंग उड़ाने के लिए दो दिन ज्यादातर लोग छतों पर ही रहे,जिससे बाजारों में भीड़ भी कम देखी गई।
सुबह और शाम को हवा का जोर रहने पर पतंगबाजों में उत्साह रहा।
पूरा आसमान पतंगों से पट गया था। छत पर पतंगबाजी के साथ लोगों ने उंबाडिया और उंधिया का स्वाद भी लिया।