सरिता गायकवाड़ का परिवार आज भी सामान्य झोपड़े में रहता हैं, जहां प्राथमिक सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं हैं।
23 वर्षीय सरिता गायकवाड़ की मां रमूबेन और पिता लक्ष्मण गायकवाड़ खेतों में मजदूरी करते हैं।
बीपीएल राशनकार्ड की सूची में दर्ज परिवार के लिए रोज खाने के लिए रोज कमाने वाले हालात रहे हैं।
प्रतिभाशाली बेटी के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। आज भी रमू बेन और लक्ष्मण ने कराड़ी आंबा समेत कुछ गांव छोड़कर बाहर की दुनिया नहीं देखी।
सरिता ने अभावों को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया। माता-पिता ने बताया कि अगर कुछ है तो केवल खुशी के आंसू। इसमें उसे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए सुने गए समाज के ताने और कष्ट भी बह गए हैं।