वन विभाग के अनुसार इस साल 300 हेक्टेयर जमीन पर पौधरोपण की योजना है। किसानों को 2500 ग्रीन किट उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक किट में 17 तरह के फलों के बीज दिए जाएंगे।
मानसून आते ही नर्सरियों में खैर, नीम, अमलतास, भीभला, पीपल, बड़, लाल जुगी, आंवला, इमली, बैर, शीशम, कत्था, सागवान की पौध वितरित होने लगी हैं। पौधशाला में शाक पौधों के साथ जंगली वृक्ष व आक, मेहंदी, निरगुड़ी, सनफणस, गडज़ीभी, गठोड़ा जैसे औषधीय पौधे हजारो की संख्या में तैयार हैं।
वन अधिकारियों ने बताया कि पौधरोपण के लिए सार्वजनिक स्थलों, स्कूलों, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र, सड़क किनारें पेड़ लगाने की योजना है। इसके लिए स्वायत्तशासी संस्था, जनप्रतिनिधि और आम जनता का सहयोग लिया जाएगा। आदिवासी किसान एवं निजी संस्थाओं को सस्ते दर पर पौधे वितरित किए जाएंगे। बारिश आरम्भ होते ही खानवेल, मांदोनी, दूधनी, आंबोली, दपाड़ा, रखोली की खाली वनीय भूमि पर वृृक्षों की पौध का रोपण किया जाएगा।