केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों पर गुजरात समेत देशभर में 50 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे वैकल्पिक बैग के रूप में कपड़े और पेपर के बैग की मांग उठने लगी। इसे पूरा करने और वनवासी महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में वनबंधु परिषद की महिला इकाई ने सकारात्मक कदम उठाया। इकाई ने सोनगढ़ में ग्रामोत्थान समिति के माध्यम से प्रशिक्षण केंद्र शुरू कर वनवासी महिलाओं को कपड़े और पेपर बैग बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। सेंटर में रोजाना 50 महिलाएं कपड़े और पेपर बैग बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। कई महिलाओं ने बैग बनाना सीखकर कमाई शुरू कर दी है।
वनबंधु परिषद महिला इकाई, सूरत की अध्यक्ष विजया कोकड़ा नेे बताया कि सोनगढ़ सेंटर में महिलाओं को कपड़े और पेपर के बैग बनाना सिखाया जा रहा है। इसके लिए कच्चा माल सूरत और आसपास के केंद्रों से भिजवाया जाता है। प्रशिक्षित महिलाएं रोजाना 500 से एक हजार बैग बना लेती हैं।
उन्हें स्थानीय बाजार या सूरत में बिक्री के लिए भिजवाती हैं। सोनगढ़ सेंटर की देख-रेख करने वाले चंदनभाई ने बताया कि प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध के बाद विकल्प के रूप में कपड़ा और पेपर बैग तैयार किए गए। सेंटर में 20 से ज्यादा मशीनों पर वनवासी महिलाओं को बैग बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षित रेखा गामित ने बताया कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन अब घर बैठे कमाई आसान हो गई है।
सैकड़ों को रोजगार
प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा तो विकल्प के रूप में कपड़े और पेपर के बैग मिले। इससे सैकड़ों वनवासी महिलाओं को रोजगार मिल गया। संगठन वनवासी महिलाओं के उत्थान की दिशा में अन्य कई योजनाओं में भी सक्रिय है।मंजू मित्तल, राष्ट्रीय सचिव, वनबंधु परिषद
छह पॉकेट का बैग
प्रशिक्षण के बाद वनवासी महिलाएं बाजार से रसोई का सामान, सब्जी आदि लाने के लिए छह पॉकेट का कपड़ा बैग भी तैयार कर लेती हैं। सूरत के न्यू सिटीलाइट रोड पर श्रीमेहंदीपुर बालाजी मंदिर धाम प्रांगण में ऐसा ही सेंटर प्रवासी राज्यों की महिलाओं के लिए श्रीमेहंदीपुर बालाजी अग्रम चेरिटेबल ट्रस्ट संचालित कर रहा है। यहां रोजाना 50 महिलाएं कपड़े और पेपर के बैग बनाने का प्रशिक्षण लेकर रोजगार हासिल कर रही हैं।
दिनेश भारद्वाज