सिलवासा. प्रशासन प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर सख्त है, वहीं दूसरे हानिकारक उत्पादों पर रोक नहीं लग सकी है। प्लास्टिक के थर्माकोल प्लेट, थालियां, कटोरी, चम्मच, कप, ग्लास, बैनर, ध्वज समेत अन्य प्रकार के उत्पादन, इस्तेमाल, स्टॉक, वितरण और बिक्री बढ़ गई है। होटल, रेस्टोरेंट, चाय-लॉरी, भोजनालयों में प्लास्टिक के प्रतिबंधित सामग्री और सामान का इस्तेमाल बेरोकटोक जारी है। 250 एमएल पानी की प्लास्टिक बोतल एवं पाउच पर प्रशासन ने आंखे बंद कर रखी हैं। दीवाली के बाद देवउठनी एकादशी से शादियां शुरू हो गई हैं। इससे कचरे में प्लास्टिक उत्पाद के अपशिष्ट बढ़े हैं। कचरे में प्लास्टिक वेस्ट अधिक है। इन पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। प्लास्टिक के उत्पाद प्राकृतिक व जैविक दृष्टि से विघटनशील न होने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके कारण जलजमाव एवं अनेक बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। प्लास्टिक के उत्पाद जानवरों के पेट में जाने से उनकी मृत्यु भी हो जाती है। शादियों में मांग बढऩे से कारोबारियों ने दूसरे तरीके निकाल लिए हैं। कइयों ने थर्माकोल मिक्स प्लास्टिक का उपयोग आरम्भ कर दिया है। प्रशासन की सख्ती के बावजूद निर्माताओं से रिसाइक्लिंग के लिए प्लास्टिक उत्पाद जमा नहीं किए हैं। होटलों में प्लास्टिक पर रोक व जांच के लिए एसएमसी व जिला पंचायत के बाद कोई तरीका नहीं है।
सुनील मिश्रा/सूरत. सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए संघ प्रदेश दमण-दीव, दानह सहित पूरे देश में कुछ दिनों तक सरकारी स्तर पर खूब सख्ती दिखाई गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने भाषणों में लोगों को इसके खतरों के प्रति आगाह किया। संघ प्रदेश और दक्षिण गुजरात के वलसाड, नवसारी सहित कुछ अन्य जिलों में प्रशासन और नगरपालिका अधिकारियों ने अभियान चलाकर प्लास्टिक बैग तथा अन्य उत्पादों को जब्त भी किया। दुकानदारों पर छापे भी मारे गए। लोगों में जागरुकता लाने के लिए अभियान भी चलाए गए। प्रशासन ने इसके उपयोग को लेकर एडवाइजरी भी जारी की है। सिंगल यूज प्लास्टिक के टॉक्सिस केमिकल हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। आज हमारे जीवन में सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों की घुसपैठ इतनी बढ़ गई है कि हम चाह कर भी इस पर रोक लगाने पर समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। वैवाहिक समारोहों में प्लास्टिक उत्पादों का जमकर उपयोग होता है। इन समारोहों में समाजों के वरिष्ठ पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के अलावा आला अफसरों की मौजूदगी भी रहती है। लोग सब कुछ जानते हुए भी इसे नजरअंदाज कर देते हैं। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल, सिक्किम सहित देश के कई राज्यों में प्लास्टिक पर बैन पहले से ही लगा हुआ है। इसके बावजूद केन्द्र सरकार देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों पर बैन को लेकर हिम्मत नहीं दिखा पाई। सरकारें भले ही हिम्मत नहीं दिखा पाएं लेकिन देश के नागरिकों और सर्व समाज को आगे बढक़र इस खतरे को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। इसके लिए इनका उपयोग बंद कर वैकल्पिक साधनों का उपयोग बढ़ाना होगा। ऐसा नहीं किया तो प्लास्टिक रूपी राक्षस हमारे जीवन को समूल नष्ट कर देगा।