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खिलाडिय़ों ने दिखाया दमखम

locationसूरतPublished: Nov 14, 2018 08:12:46 pm

ग्रामीण ओलंपिक संपन्न

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खिलाडिय़ों ने दिखाया दमखम

बारडोली. खेलकूद युवा सांस्कृतिक विभाग और गुजरात प्रवासन विभाग गांधीनगर के संयुक्त तत्वधान में उमरपाड़ा तहसील के वाडी गांव में आयोजित ग्रामीण ओलंपिक संपन्न हो गया। 8 से 10 नवंबर तक आयोजित ग्रामीण ओलंपिक के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
ओलंपिक के समापन अवसर पर वन एवं आदिजाति विकास मंत्री गणपतसिंह वसावा ने कहा कि ऐसे आयोजनों से ग्रामीण स्तर के युवा खिलाडिय़ों में उत्साह बढ़ेगा। गणपत वसावा और सांसद प्रभु वसावा ने विजेता टीम को 1.50 लाख रुपए का नकद पुरस्कार और ट्रॉफी दी।
ओलंपिक में कबड्डी, वालीबॉल और एथलेटिक्स के मुकाबले हुए, जिनमें सूरत, तापी, भरूच, नवसारी, वलसाड, डांग, दाहोद के अलावा महाराष्ट्र और छतीसगढ़ के भी खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया था। इस अवसर पर सहारा मानव कल्याण ट्रस्ट के प्रमुख रितेश वसावा और सूरत ग्रामीण जिला खेलकूद अधिकारी विरल पटेल के निर्देशन में ओलंपिक खेल संपन्न हुए।
कार्तिक पूर्णिमा का मेला 22 को

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बारडोली. तहसील के मोता गांव के पौराणिक रामेश्वर महादेव मंदिर में कार्तिक त्रिपुरारि पूर्णिमा की रात को मेले के आयोजन किया जाएगा। मेले में दूरदराज से भक्त रामेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर रामेश्वर दादा की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इस साल यह शोभा यात्रा और मेला 22 नवंबर को निकाली जाएगी। पालखी यात्रा रात 9.00 बजे निकलेगी, जो गांव में घूमेगी।
उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ

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वापी. हाथों में पूजा की थाली लेकर पानी मे खड़े होकर उगते सूर्य को अघ्र्य देकर बुधवार सुबह व्रतियों ने अपना व्रत पूरा किया। सूर्य देवता से अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की। सुबह राता नदी तट, हरिया पार्क और दमणगंगा में सुबह व्रतियों की भीड़ देखी गई। सूर्य उदय होने से पहले ही लोग अपने परिवारों के साथ घाटों पर पहुंच गए थे। लोगों ने 36 घंटे से चल रहा निर्जला व्रत उदीयमान भास्कर को अघ्र्य देकर संपन्न किया। इस अवसर पर पूजा करने पहुंची एक महिला ने बताया कि 36 घंटे तक व्रत रखने की शक्ति और ऊर्जा सूर्य देवता से ही मिलती है। इस दौरान छठ घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। छठ व्रतियों का पहुंचना सुबह चार बजे के बाद से ही शुरू हो गया था। गौरतलब है कि छठ पर्व के निमित्त इन चार दिनों के दौरान गली-मोहल्लों से लेकर नदी के तटों और तालाब के किनारों तक पूरा वातावरण धर्म और भक्तिमय हो गया था।

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