भरुच सिविल अस्पताल का प्रशासन निजी संस्था को देने की हलचल के खिलाफ लोग विरोध कर रहे हैं। वहीं सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों के २१३ में से ८५ पद रिक्त पडे हैं। अगर सरकार की ओर से रिक्त पदों पर भर्ती कर दी जाए तो मरीजों को अच्छी चिकित्सकीय सुविधा मिल सकती है। कर्मचारी की संख्या कम होने से अधिकांश मामलों में मरीजों को मजबूरन वड़ोदरा के लिए रेफर कर दिया जाता है। पर्याप्त स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं होने से मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च करने की शर्त पर भरुच सिविल अस्पताल के प्रशासन को निजी संस्था को सौंप देने की हलचल तेज कर दी है। सिविल के निजीकरण का विरोध विभिन्न संस्थाओं और स्थानीय लोगों की ओर से किया जा रहा है। भरुच व नर्मदा जिले के गरीब व मध्यमवर्गीय लोगों के लिए सिविल अस्पताल आशीर्वाद के समान है। सिविल अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से मरीजों को दिकक्तों का सामना करना पड़ता है। मरीजों को या तो निजी अस्पताल अथवा वड़ोदरा के लिए रेफर कर दिया जाता है।
सिविल अस्पताल के निजीकरण होने से मरीजों को अच्छी सुविधा मिलने का दावा किया जा रहा है। वहीं रिक्त पदों को भर दिया जाए तो मरीजों को ज्यादा सुविधा मिल सकती है। सिविल अस्पताल में वर्ग एक से चार के कुल कर्मचारियों की संख्या २१३ है जिसमें हाल 128 पदों पर ही स्टाफ की तैनाती हुई है। स्वास्थ्य कर्मचारियों की ८५ पद रिक्त चल रहे हैं। सिविल अस्पताल का निजीकरण होने पर वर्तमान में ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों क ो अन्य स्थान पर नौकरी के लिए विकल्प देने की बात भी चल रही है।
सिविल अस्पताल में कर्मचारियों की स्थिति
वर्ग मंजूर पद तैनात रिक्त पद स्थाई अस्थायी
१ १७ १२ ०५ ०८ ०९
२ २१ १५ ०६ १५ ०६
३ ११० ७६ ३४ ८३ २७
४ ६५ २५ ४० ५८ ०७
कुल २१३ १२८ ८५ १६४ ४९
सिविल अस्पताल में कर्मचारियों की स्थिति
वर्ग मंजूर पद तैनात रिक्त पद स्थाई अस्थायी
१ १७ १२ ०५ ०८ ०९
२ २१ १५ ०६ १५ ०६
३ ११० ७६ ३४ ८३ २७
४ ६५ २५ ४० ५८ ०७
कुल २१३ १२८ ८५ १६४ ४९