जानकारी के अनुसार वलसाड जिले में दस हजार से ज्यादा मूर्तियों की स्थापना होती है। घरों व सोसायटियों में मिट्टी से बने गणेशजी की मांग अधिक है। कलाकार भी आर्डर को पूरा करने में जुटे हैं। वहीं कई जगहों पर गणपति जी को पंडालों में लाने की शुरुआत भी हो चुकी है।
वलसाड के हनुमान भागडा के भगत मोहल्ले में रहने वाले मूर्तिकार अनंत वागवंतर तथा डुंगरी रोड पर मूर्ति बनाने वाले रामू प्रजापति ने कहा कि मूर्तियों के अच्छे आर्डर मिल रहे हैं। इसके चलते मूॢत बनाने और सजावट के लिए महाराष्ट्र और राजस्थान से भी कारीगरों को बुलाया गया है। जीएसटी के कारण मूर्तियों के दाम में वृद्धि भी हुई है।
मूर्तियों पर गहनों व कपड़े की सजावट मांग के अनुसार की जाती है। मूर्ति खरीदने आए कांजण गांव के रणजीत पटेल ने बताया कि गत वर्ष की अपेक्षा इस बार दाम बहुत बढ़े हैं, जीएसटी का बहाना बनाकर कलाकार ज्यादा रुपए ले रहे हैं, लेकिन हमें तो गणपति बप्पा की स्थापना हर हाल में करनी है।
पीओपी की मूर्तियों की मांग पर्यावरण के प्रति लोगों में आई जागरुकता के कारण लोग मिट्टी की मूर्ति पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उसके बाद भी पीओपी की प्रतिमा की मांग अच्छी खासी है। इस बारे में मूर्तिकारों ने बताया कि यह बनाने में सरल होने के साथ लागत भी कम आती है। इससे वह सस्ती भी रहती है। इसके अलावा स्थापना के लिए ले जाने में भी आसानी रहती है। जिससे लोग पोओपी की मूर्ति की डिमांड बनी हुई है।